उपराज्यपाल ने बारामूला में कश्मीर की संस्कृति का जश्न मनाने वाले एक विशाल कार्यक्रम, कशूर रिवाज 2025 में भाग लिया
उपराज्यपाल ने बारामूला में कश्मीर की संस्कृति का जश्न मनाने वाले एक विशाल कार्यक्रम, कशूर रिवाज 2025 में भाग लिया


बारामूला, 29 जुलाई (हि.स)। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा आज बारामूला में कश्मीर की संस्कृति का जश्न मनाने वाले एक विशाल कार्यक्रम, कशूर रिवाज 2025 में शामिल हुए।

अपने संबोधन में उपराज्यपाल ने इतिहास रचने और विश्व रिकॉर्ड का खिताब हासिल करने के लिए बारामूला के 20,000 युवाओं को हार्दिक बधाई दी।

उपराज्यपाल ने कहा, लदीशाह और सुलेख के लिए एक साथ आकर, आपने एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। यह उपलब्धि समाज के सभी वर्गों को अपनी विरासत से जुड़ने, अपनी संस्कृति को अपनाने और अपने मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगी।

उन्होंने इस सराहनीय प्रयास के लिए भारतीय सेना और बारामूला जिला प्रशासन की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि मैं हमारी सेना के समर्पण और प्रतिबद्धता को सलाम करता हूँ। वे न केवल राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा कर रहे हैं बल्कि इस क्षेत्र की जीवंत सांस्कृतिक विरासत के संरक्षक के रूप में भी सक्रिय रूप से सेवा कर रहे हैं और हमारे युवाओं के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

विविधता में एकता भारत की महान संस्कृति की पहचान है। भारतीय सेना ने सामाजिक लाभ के लिए इस शक्ति का निरंतर उपयोग करने के लिए काम किया है और युवाओं के लिए साहित्य, संगीत, कला और खेल के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के अवसर पैदा किए हैं।

उपराज्यपाल ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के युवाओं को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि हम समग्र सरकारी दृष्टिकोण के साथ जम्मू-कश्मीर के युवाओं की आकांक्षाओं को राष्ट्र की आकांक्षाओं के साथ जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं।

युवाओं की आशाएँ और सपने शांतिपूर्ण वातावरण में ही फल-फूल सकते हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और अलगाववाद ने जम्मू-कश्मीर से शांति, प्रगति और युवाओं की आकांक्षाओं को छीन लिया था। अब जम्मू-कश्मीर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने नशीली दवाओं के खतरे के खिलाफ लड़ाई में और नशे की लत के शिकार युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए युवा पीढ़ी से सहयोग मांगा।

इस अवसर पर उपराज्यपाल ने जेकेएएसीएल और कश्मीर विश्वविद्यालय के सहयोग से जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के गुरु-शिष्य परंपरा कार्यक्रम और सुलेख पाठ्यक्रम की घोषणा की।

जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी, कश्मीर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर सुलेख में 6 महीने और एक वर्षीय सर्टिफिकेट/डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने जा रही है।

जेकेएएसीएल के गुरु-शिष्य परंपरा कार्यक्रम के तहत गुरु 4-8 शिष्यों को विलुप्त कलाओं का प्रशिक्षण देंगे और उन्हें प्रति माह 10,000 रुपये मिलेंगे। शिष्यों को भी 5000 रुपये प्रति माह मिलेंगे जबकि सहायकों को 7500 रुपये प्रति माह मिलेंगे।

प्रमुख सचिव संस्कृति, श्री बृज मोहन शर्मा; जीओसी 19 इन्फैंट्री डिवीजन, मेजर जनरल परनवीर सिंह पुनिया; संभागीय आयुक्त कश्मीर, विजय कुमार बिधूड़ी; इस अवसर पर उत्तर कश्मीर के डीआईजी श्री मकसूद-उल-ज़मान, बारामूला के उपायुक्त श्री मिंगा शेरपा, सुरक्षा बलों, नागरिक और पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, यूनिवर्सल रिकॉर्ड फोरम के पदाधिकारी, कलाकार, गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में युवा उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह