झारखंड में डायन प्रथा, बलि और ओझागुणी जैसी कुप्रथाएं सामाजिक विकृति का कारण: सुनील
डायन प्रथा और बलि जैसे अंधविश्वास से बचने के लिए बढ़ाएं मानसिक प्रतिरोधक क्षमता: आनंद मार्ग प्रचारक संघ


पूर्वी सिंहभूम, 29 जुलाई (हि.स.)।

पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित रूगड़ीडीह पंचायत में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से मंगलवार को

तत्व सभा आयोजित की गई।

मौके पर सुनील आनंद ने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में आज भी डायन प्रथा, बलि प्रथा और ओझागुणी जैसी कुप्रथाएं सामाजिक विकृति का कारण बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि किसी महिला को डायन बताकर प्रताड़ित करना या मार देना अत्यंत अमानवीय और कानून विरुद्ध है, परंतु आज भी यह अंधविश्वास पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।

सुनील आनंद ने बलि प्रथा को भी अमानवीय बताया और कहा कि देवी-देवताओं के नाम पर बलि देना उनके ही बच्चों की हत्या के समान है। उन्होंने कहा कि समाज को इन अंधविश्वासों से बचाने के लिए शिक्षा प्रणाली में वैज्ञानिक, व्यावहारिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ओझागुणी और डायन प्रथा विरोधी ज्ञान को शामिल करना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि केवल भक्ति और आत्मिक बल से ही मनुष्य अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर सकता है और भय से मुक्त हो सकता है। कीर्तन और भजन से आत्मबल बढ़ता है, जिससे कोई भी ओझा-गुनी व्यक्ति उसे गुमराह नहीं कर सकता। अंधविश्वास से ऊपर उठकर समाज को विवेक और भक्ति के मार्ग पर चलना होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक