जींद : भारत-अमेरिका ट्रेड डील में नॉनवेज मिल्क के विरोध में एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए डेयरी फार्मर।


जींद, 29 जुलाई (हि.स.)। करीब सौ से अधिक डेयरी फार्मरों ने मंगलवार को सफीदों एसडीएम पुलकित मल्होत्रा से मिलकर भारत-अमेरिका ट्रेड डील में नॉनवेज मिल्क व इसके उत्पादों के आयात के विरोध में ज्ञापन सौंपा। एसडीएम पुलकित मल्होत्रा ने ज्ञापन को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का भरोसा दिया है।

डेयरी फार्मर व धार पशु आहार के निदेशक नितेश ढुल ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता एक अगस्त 2025 तक अंतिम रूप ले सकता है। दोनों देशों के बीच डेयरी और फार्मिंग को लेकर बातचीत जारी है।

अमेरिका भारत के डेयरी मार्केट में प्रवेश करना चाहता है और मांसाहारी दूध (नॉनवेज मिल्क) व इसके उत्पादों को भारत में बेचने का इच्छुक है। नितेश ढुल ने बताया कि अमेरिका में गायों को मांस मिला कर चारा खिलाया जाता है। जिसमें सुअर, मछली, बिल्ली, घोड़े आदि का मांस शामिल होता है। अमेरिकी रिपोट्र्स के अनुसार गायों को प्रोटीन के लिए घोड़े और सुअर का खून भी पिलाया जाता है। इस प्रकार के चारे से प्राप्त दूध को नॉनवेज मिल्क कहा जाता है। इसके विपरीत भारत में मवेशियों को केवल शाकाहारी चारा खिलाया जाता है। जिसके कारण भारतीय मवेशियों से प्राप्त दूध का उपयोग पूजा, पाठ और व्रत में भी किया जाता है।

नितेश ढुल ने बताया कि यदि भारत और अमेरिका के बीच डेयरी को लेकर यह समझौता हो जाता है तो इससे न केवल हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी बल्कि भारतीय डेयरी किसानों को भी भारी आर्थिक नुकसान होगा। यदि अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते दामों पर बेचे जाते हैं तो भारतीय किसानों की मेहनत को गंभीर क्षति पहुंचेगी। एक शोध के अनुसार यह नुकसान लगभग 130 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है।

इस कारण किसानों में काफी गुस्सा और रोष है। नितेश ढुल ने बताया कि अमेरिका इस ट्रेड डील को भारत पर जबरन थौंपना चाहता है। इस ज्ञापन के माध्यम से हम केंद्र सरकार से निवेदन करते हैं कि वह किसी भी दबाव में न आए और इस समझौते का पुरजोर विरोध करे। साथ ही देश के आमजन की धार्मिक भावनाओं की और डेयरी फार्मरों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा