असम के उरियामघाट में 3,600 एकड़ वन भूमि क्षेत्र खाली कराने के लिए अभियान शुरू
असमः गोलाघाट जिला के उमरियाम घाट के रेंगमा वन क्षेत्र में जेसीबी से अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त किये जाने का दृश्य।


गोलाघाट, 29 जुलाई (हि.स.)। असम सरकार ने संवेदनशील असम-नगालैंड सीमावर्ती गोलाघाट जिला के सरूपथार उप-मंडल में स्थित उरियामघाट के रेंगमा आरक्षित वन क्षेत्र में 3,600 एकड़ से अधिक वन भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए एक विशाल बेदखली अभियान शुरू किया है। अधिकारियों ने इस अभियान को राज्य में अब तक की सबसे बड़ी अतिक्रमण विरोधी पहल बताया है।

गोलाघाट जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस अभियान का उद्देश्य लगभग 11,000 बीघा संरक्षित वन क्षेत्र में फैले कथित अतिक्रमणों को हटाना है, जिससे लगभग 1,500 परिवार प्रभावित होंगे जिन्हें बेदखली नोटिस दिए गए थे।

बेदखली का पहला चरण मंगलवार सुबह विद्यापुर के मुख्य बाजार क्षेत्र में पुलिस और वन कर्मियों की भारी मौजूदगी में शुरू हुआ। अधिकारियों ने बताया कि यह अभियान धीरे-धीरे आवासीय क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा, जहां 12 गांवों में कुल 2,648 अवैध ढांचों को ध्वस्त करने के लिए चिह्नित किया गया है। पहचाने गए गांवों में सोनारीबिल टॉप, पीठघाट नंबर 2, दयालपुर नंबर 2 और 3, दलनपाथर, खेरबारी, विद्यापुर, विद्यापुर बाज़ार, मधुपुर नंबर 2, आनंदपुर, राजपुखुरी और गेलाजन शामिल हैं।

एक अधिकारी ने बताया, इस इलाके में लगभग 2,000 परिवार रहते थे। इनमें से 1,500 को अवैध बस्ती के कारण बेदखली के नोटिस जारी किए गए थे। बाकी परिवार वैध वन अधिकार समिति (एफआरसी) प्रमाणपत्रों के साथ मान्यता प्राप्त वनवासी हैं।

इस अभियान को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा करने के लिए 2,000 से ज़्यादा असम पुलिस कर्मियों और 500 वन सुरक्षा कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा, तोड़फोड़ के लिए 100 से ज़्यादा पोकलैंड और उत्खनन मशीनें तैनात की गई हैं। गोलाघाट, मेरापानी, शिवसागर और तिनसुकिया सहित कई ज़िलों से सुरक्षा वाहन और उपकरण जुटाए गए हैं।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी), पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और सहायक आयुक्तों सहित वरिष्ठ अधिकारी अभियान की निगरानी और समन्वय के लिए मौके पर मौजूद हैं।

अधिकारियों ने कहा कि बेदखली कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार की गई, जिसका उद्देश्य लंबे समय से चले आ रहे अतिक्रमण को रोकना और वन क्षेत्र की पारिस्थितिक अखंडता को संरक्षित करना है।

अधिकारियों ने यह भी पुष्टि की कि जिन 80 प्रतिशत परिवारों को नोटिस मिले थे, उन्होंने हाल के दिनों में स्वेच्छा से क्षेत्र खाली कर दिया है। एक वरिष्ठ ज़िला अधिकारी ने कहा, हम केवल परित्यक्त ढांचों को ही गिरा रहे हैं।

-----------------

हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय