जबलपुर : आज भी एकलव्य प्रथा पर चल रहा है मध्य प्रदेश का सबसे प्राचीन एवं बड़ा अखाड़ा
प्रदेश का सबसे प्राचीन एवं बड़ा अखाड़ा


जबलपुर, 29 जुलाई (हि.स.)। देश में मल्ल विद्या एवं शस्त्र विद्या को लेकर विख्यात मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा तांत्रिक विधाओं से पूर्ण उस्ताद फकीरचंद अखाड़ा राज्‍य की संस्‍कारधानी जबलपुर में स्‍थित है। इस अखाड़े में देश के नामी गिरामी पहलवानों ने व्यायाम किया है। इसमें गुरु हनुमान, दारा सिंह, मंगला राय, जैसे दिग्गज पहलवानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

देढ़ सौ वर्ष पूर्व हुई थी इस अखाड़े की स्‍थापना

लगभग 150 वर्ष प्राचीन इस अखाड़े का इतिहास अपने आप में अनोखा है। अखाड़े के संस्थापक उस्ताद फकीरचंद शुक्ला जिनका जन्म 1839 में हुआ था अपने आप में प्रसिद्ध पहलवान के साथ कुशल तांत्रिक एवं वैद्य थे, जिनके द्वारा अखाड़े के विशाल परिसर मे स्थापित तांत्रिक दिवाला आज भी अखाड़े में मौजूद है, जो वर्ष में सिर्फ दो बार खुलता है।

उल्‍लेखनीय है कि तांत्रिक दृष्टि से जबलपुर में कुछ स्थानों का विशेष महत्व माना गया है। जिसमें गोलकी मठ (चौसठ योगिनी मंदिर), बाजना मठ, अधारताल स्थित महालक्ष्मी पचमठा मंदिर एवं उस्ताद फकीरचंद अखाड़ा प्रमुख है।

अखाड़ा छड़ी वरदान परम्परा से संचाहित

अनेक प्राचीन अस्‍त्र त्रिशूल, तलवार अन्य शस्त्रों से सुसज्जित यह अखाड़ा अपने आप में चमत्कृत है। यहां शिष्यों के अलावा महिलाओं सहित आम लोगों का प्रवेश वर्जित है। उस्ताद फकीरचंद शुक्ला का महाप्रयाण 1907 में हुआ इसके बाद से आज तक इस अखाड़े में कोई दूसरा उस्ताद नहीं हुआ। यह अखाड़ा छड़ी वरदान परम्परा में है। उस्ताद के शिष्य उनकी मूर्ति स्थापित कर उसको ही उस्ताद मानते हैं। शिष्यगण एकलव्य प्रथा को मानते हुए उस्ताद की मूर्ति को गुरु स्वरूप मानकर इस विशाल अखाड़े का संचालन निरन्तर जारी है।

तांत्रिक अखाड़े के भीतर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष मिलकर हजारों शिवलिंग स्थापित है। इस अखाड़े में तांत्रिक विधाओं से युक्त विभिन्न प्राचीन शक्तियां विराजित है। जिनमें महाबली हनुमानजी के अलावा जागनाथ मंदिर, गौरीशंकर की प्रतिमा,मां कामाख्या की प्रतिमा महिषासुर मर्दिनी, यक्षिणी देवी, राजा मदन शाह की प्रतिमा, तिब्बती लामा, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, सहित अनेकों यंत्र जिनमे श्रीयंत्र,रूद्र यंत्र भी शामिल हैं स्थापित हैं। इसके अलावा अनेक पुरातात्विक प्रतिमाएं यहां मौजूद हैं।

अखाड़े में मौजूद है रानी दुर्गावती के पति राज दलपतिशाह का शिलालेख पुरातत्व विभाग से जुड़े लोगों का मानना है कि अखाड़े में रानी दुर्गावती के पति राज दलपतिशाह का शिलालेख है, परंतु शिलालेख की लिपि को अब तक पढ़ा नहीं जा सका है। शिष्यों के अनुसार इस अखाड़े में आज भी दैवीय शक्तियां महसूस की जा सकती हैं। अखाड़े में इस समय लगभग 400 पहलवानों की संख्‍या है। देशी व्यायाम जिनमें दंड बैठक, मुगदर, मलखंब, डबल बार आदि शामिल होने के साथ अत्याधुनिक जिम भी इस अखाड़े में संचालित हैं। पुराने बुजुर्गों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां के अनेक चमत्कार हैं, ऐसी मान्यता है कि आज भी रात्रि 12 के बाद अखाड़ा स्थित गर्भ ग्रह में कोई ताल नहीं ठोक सकता और न ही रुक सकता है।

आज नाग पंचमी के दिन होती है यहां विशेष पूजा

इस अखाड़े में नाग पंचमी के दिन शस्त्रों के पूजन के बाद एक विशाल प्रदर्शन जुलूस निकलता है, जिसमें शस्त्रों के रूप में लाठी, पटा-बनेटी लेजिम, भाला, गजवेल आदि शामिल हैं का प्रदर्शन किया जाता है। कहना होगा कि उक्‍त पुरातात्विक दृष्टि से प्रसिद्ध यह तांत्रिक अखाड़ा न केवल जबलपुर का बल्कि मध्य प्रदेश का भी आज गौरव बना हुआ है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विलोक पाठक