बंगाल के आठ अस्पतालों को मिलेगा डे-केयर कैंसर सेंटर का लाभ
अस्पतालों में मरीजों की सांकेतिक तस्वीर


कोलकाता, 29 जुलाई (हि. स.)। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अब मरीजों को दिल्ली, मुंबई, चेन्नई या कोलकाता जैसे बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी होगी। अब पश्चिम बंगाल के आठ जिलों में भी डे केयर कैंसर सेंटर का लाभ मिलेगा। पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हालांकि परियोजना केंद्र सरकार की है। केंद्र सरकार ने देशभर के 200 जिला अस्पतालों को डे-केयर कैंसर सेंटर (डीसीसीसी) के रूप में मान्यता देकर कैंसर उपचार को स्थानीय स्तर तक पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इस योजना में पश्चिम बंगाल के भी आठ जिले शामिल किए गए हैं, जिनमें मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम मेदिनीपुर, मालदा, पूर्व बर्धमान, बांकुड़ा, पुरुलिया और नंदीग्राम स्वास्थ्य जिला शामिल हैं।

उक्त अधिकारी ने बताया कि केंद्र की ओर से घोषित इस योजना के तहत इन अस्पतालों में मरीज कुछ घंटों के लिए भर्ती होकर कीमोथेरेपी व अन्य प्राथमिक उपचार लेकर उसी दिन घर लौट सकेंगे। केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि वर्ष 2029 तक देश के सभी 743 जिलों में डे-केयर कैंसर सेंटर्स की स्थापना कर दी जाए। इसी क्रम में वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 297 नए सेंटर खोले जाने की योजना है, जिनमें से 200 से अधिक केंद्रों को वित्तीय मंजूरी दी जा चुकी है।

सरकार का मानना है कि इस पहल से ग्रामीण व दूरदराज के इलाकों में रहने वाले मरीजों को अत्यधिक खर्च और समय की बचत होगी, जो अब तक इलाज के लिए कोलकाता या अन्य महानगरों पर निर्भर थे।

आईसीएमआर की कैंसर रजिस्ट्री रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में हर साल औसतन 1.2 लाख से अधिक नए कैंसर मरीज सामने आते हैं। इनमें से आधे से अधिक को प्राथमिक उपचार या फॉलोअप कीमोथेरेपी के लिए कोलकाता आना पड़ता है। समय पर इलाज न मिल पाने के कारण कई मरीजों का कैंसर देर से पकड़ में आता है, जिससे उनकी हालत और गंभीर हो जाती है।

राज्य सरकार के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि परियोजना के सुचारू संचालन के लिए केंद्र के साथ समन्वय कर आवश्यक ढांचा और मानव संसाधन तैयार किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रम समन्वयन समिति (एनपीसीसी) आईसीएमआर की रिपोर्ट और राज्यों से मिली प्रस्तावित सूची के आधार पर नए केंद्रों की पहचान कर रही है।

स्वास्थ्य विभाग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन डे-केयर सेंटर्स को तय समय में शुरू किया जा सका, तो कैंसर जैसी लंबी और खर्चीली बीमारी के खिलाफ लड़ाई में यह बड़ी राहत साबित होगी। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि बाकी जिलों में भी यह सुविधा कितनी जल्दी शुरू की जा सकेगी। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना को वर्ष 2029 तक पूरी तरह लागू कर दिया जाए।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

 

Page Not Found