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शिमला, 29 जुलाई (हि.स.)। राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने मंगलवार को संसद में कांगड़ा एयरपोर्ट से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि इस हवाई अड्डे पर पक्षियों की बढ़ती गतिविधियां विमानों और यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं। उन्होंने केंद्रीय नागर विमानन मंत्री से पूछा कि क्या सरकार को इस पर्यावरणीय खतरे की जानकारी दी गई है और क्या पिछले दो वर्षों के दौरान यहां पक्षियों के टकराने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
इसके जवाब में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सदन को अवगत करवाया कि कांगड़ा एयरपोर्ट पर संचालित एयरलाइनों की ओर से अब तक किसी प्रकार के पर्यावरणीय खतरे की सूचना नहीं दी गई है। हालांकि 1 जुलाई 2023 से 30 जून 2025 की अवधि के दौरान एयरपोर्ट पर पक्षियों/वन्य जीवों से टकराने की दो घटनाएं दर्ज की गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा लाइसेंस प्राप्त हवाई अड्डों पर वन्य जीव खतरों के प्रबंधन के लिए स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश पहले से मौजूद हैं, जिनका पालन वार्षिक निगरानी निरीक्षणों के माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है।
डॉ. सिकंदर कुमार ने इसके साथ ही देशभर में उड़ान संचालन की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी मांगी और साथ ही हिमाचल प्रदेश में जल निकायों की स्थिति और संरक्षण से संबंधित विषयों को भी सदन में उठाया।
इसके उत्तर में केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि सतत शहरी नदी पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तहत वर्ष 2025 के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में नदी-संवेदनशील मास्टर प्लानिंग और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि शहरी नियोजन में नदियों के संरक्षण को प्रमुखता दी जा सके।
मंत्री ने यह भी बताया कि मीठे जल स्रोतों की जैव विविधता को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण को लेकर भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून द्वारा एक सूचना डैशबोर्ड विकसित किया गया है। यह डैशबोर्ड गंगा नदी बेसिन सहित अन्य नदियों की पारिस्थितिकी, प्रदूषण के हॉटस्पॉट और संरक्षण प्रयासों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराता है।
हिमाचल प्रदेश की स्थिति पर उन्होंने बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल निकायों के पास अवैध कचरा डंपिंग की निगरानी के लिए नियमित निरीक्षण करता है और ‘प्रदूषण भुगतान करो’ सिद्धांत के तहत जुर्माना लगाया जाता है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में समितियों का गठन किया है जो सड़क निर्माण और अन्य गतिविधियों से उत्पन्न मलबे के अवैध निपटान की निगरानी और रोकथाम का कार्य कर रही हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा