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भर्तियों से लेकर डिजिटलाइजेशन और भारतीय ज्ञान परंपरा को प्राथमिकता
अजमेर, 29 जुलाई (हि.स.)। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेश चंद्र अग्रवाल ने मंगलवार को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अपनी प्राथमिकताओं और भावी योजनाओं से मीडिया को अवगत कराया। उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्तियों, विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि, पूर्ण डिजिटलीकरण और भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनर्स्थापन को शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा गया है।
प्रो. अग्रवाल ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए शिक्षकों की समय पर नियुक्तियां जरूरी हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय में रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां करने और विद्यार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करने का भरोसा दिलाया।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के सभी विभागों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की दिशा में तेजी से कार्य होगा। सभी प्रक्रियाओं को समर्थ पोर्टल पर लाने की योजना है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को आवेदन, मूल्यांकन व सूचना आदान-प्रदान में सहूलियत हो। इसके साथ ही विश्वविद्यालय एनएएसी (नेक) का अधिस्वीकरण भी प्राप्त करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाएगा।
उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को शिक्षा जगत के लिए एक वेव करार दिया जिसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि एआई का रचनात्मक और आलोचनात्मक उपयोग सुनिश्चित किया जाए, तो यह शिक्षा के लिए लाभकारी हो सकता है। विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण के दौरान लोकल मूल्यांकन और स्थानीय असाइनमेंट लेखन को अनिवार्य बनाया जाएगा ताकि छात्रों की मौलिकता बनी रहे।
कुलपति ने शिक्षा के पाश्चात्य मॉडल पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि क्या अंग्रेजी शिक्षा केवल पश्चिमीकरण के लिए होनी चाहिए? आज का विद्यार्थी दूसरों के बारे में अधिक जानता है, लेकिन स्वयं से अनभिज्ञ रहता है। अब समय आ गया है कि भारतीय ज्ञान परंपरा को मुख्यधारा में लाया जाए और विद्यार्थी अपने अस्तित्व को समझे।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष