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अयोध्या, 29 जुलाई (हि.स.)। सुप्रसिद्ध पीठ प्राचीन लवकुश मंदिर, लवकुश भवन वाल्मीकि आश्रम रामकाेट में विराजमान द्वादश एवं 108 ज्याेतिर्लिंगाें का अभिषेक-पूजन कर सुभव्य झांकी सजाई गई। अवसर था नागपंचमी के पावन पर्व का। जिसे लवकुश मंदिर और लवकुश भवन वाल्मीकि आश्रम के पीठाधिपति महंत रामकेवल दास महाराज ने अपना सानिध्य प्रदान किया। पर्व पर भगवान शिव और उनके सर्पाें का पूजन-अर्चन किया गया। उन्हें दूध लावा चढ़ाकर दूध पिलाया गया। मठ में शिवभक्ताें का तांता लगा रहा। दर्शन-पूजन का सिलसिला ब्रह्म मुहूर्त से लेकर देरशाम तक चलता रहा। शिवभक्ताें ने भाेलेबाबा और उनके सर्पाें का दर्शन कर अपना जीवन धन्य बनाया। भक्तगण पुण्य के भागीदार बने। उत्सव से पूरा मंदिर प्रांगण पुलकित रहा।
नागपंचमी पर्व पर मठ में विराजमान द्वादश एवं 108 ज्याेतिर्लिंगाें का प्रात:काल पंचामृत, फलाें का जूस, सुगंधित सर्व औषधियों समेत अन्य पदार्थों से वैदिक मंत्राेच्चारण संग अभिषेक-पूजन किया गया। उसके बाद उन्हें बेलपत्र, भांग,धतूरा, दुर्वा पुष्प, अच्छत, फल, मिष्ठान, शहद, कुमकुम, हल्दी, चंदन, इत्र आदि चढ़ाया। फिर भगवान भाेलेनाथ के सभी ज्याेतिर्लिंगाें का दिव्य श्रृंगार कर आरती-पूजन किया गया। तत्पश्चात शिव के समस्त सापाें का अभिषेक-श्रृंगार कर आरती, पूजन किया।
इस माैके पर लवकुश मंदिर एवं लवकुश भवन वाल्मीकि आश्रम के वर्तमान पीठाधिपति महंत रामकेवल दास महाराज ने बताया कि मंदिर में नागपंचमी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर में विराजमान द्वादश ज्याेतिर्लिंग समेत 108 ज्याेतिर्लिंगाें की सुभव्य झांकी सजाई गई। इसके अलावा भगवान शिव के सभी सर्पाें की भी भव्य झांकी सजी और पूजन-अर्चन हुआ। नागपंचमी का पावन पर्व प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। उसी अनुसार इस बार भी तिथि अनुसार महापर्व मनाया गया। नागपंचमी पर मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने द्वादश और 108 ज्याेतिर्लिंग, नागदेवता समेत नवदुर्गा, गंगाजी का दर्शन किया। भगवान के ज्याेतिर्लिंग, नागदेवता का पूजन-अर्चन हुआ। उनकी दिव्य झांकी सजी, जिसका दर्शन कर शिवभक्त कृतार्थ हुए। इस अवसर पर पीठ के उत्तराधिकारी महंत रामदास, अधिकारी ओमदास समेत अन्य शिवभक्त माैजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय