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रांची, 29 जुलाई (हि.स.)। झारखंड की आपात चिकित्सा व्यवस्था को संचालित करने वाले 108 एंबुलेंस कर्मियों का हडताल दूसरे दिन आंदोलन मंगलवार से और तेज हो गया है।
राजधानी रांची में सैकड़ों एंबुलेंस चालकों और तकनीकी कर्मचारियों ने राजभवन के समक्ष अर्द्धनग्न प्रदर्शन किया और उचित मानदेय, स्थायी बहाली और सरकारी कर्मचारी जैसी सुविधाएं देने की मांग की मांग की।
एंबुलेंस चालकों के हडताल का असर सदर अस्पताल सहित राजधानी के कई सरकारी अस्पतालों में साफ देखा गया। आपातकालीन सेवा में देरी से मरीजों को खुद साधन जुटाकर अस्पताल पहुंचना पड़ा। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने बताया कि 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन फिलहाल एक निजी संस्था कर रही है।
कर्मियों ने कहा कि एजेंसी हर साल बदलती है लेकिन शोषण की तस्वीर नहीं बदलती है।
एक एंबुलेंस चालक ने कहा कि हमसे 12-12 घंटे काम लिया जाता है लेकिन वेतन तय नहीं है। न पीएफ दिया जाता है और न कोई बीमे का लाभ दिया जा रहा है। छुट्टी मांगने पर प्रताड़ना मिलती है और सवाल पूछने पर धमकी तक दी जाती है।
कर्मियों ने कहा कि वे राज्य के दूरदराज क्षेत्रों में दिन-रात सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है।
कर्मी अपनी तख्तियों पर हम सेवक हैं, भिखारी नहीं 108 कर्मियों को सम्मान चाहिए जैसे नारे लिखकर बैठे थे। उन्होंने बताया कि वे पहले भी स्वास्थ्य विभाग, जेएचआरएम मिशन, मुख्यमंत्री सचिवालय और जेएचआरडीए को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, कार्रवाई नहीं हुई है। 108 एंबुलेंस चालकों ने कहा है कि अब बात नहीं, उन्हेंं लिखित आश्वासन चाहिए। जब तक स्थायी बहाली और न्यूनतम वेतन पर ठोस फैसला नहीं होगा, हम सेवा पर वापस नहीं लौटेंगे।
कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि हमारी मांगों पर सरकार ने जल्द संज्ञान नहीं लिया तो हम पूरे राज्य में चक्का जाम करेंगे और स्वास्थ्य सचिवालय का घेराव करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak