वमुख्य शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध तीन शिक्षक संघों ने खोला मोर्चा
वमुख्य शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध तीन शिक्षक संघों ने खोला मोर्चा


नैनीताल, 29 जुलाई (हि.स.)। नैनीताल जिले के तीन मान्यता प्राप्त शिक्षक संगठन मुख्य शिक्षा अधिकारी की कार्यशैली और शिक्षकों के प्रति रवैये से क्षुब्ध होकर संयुक्त रूप से बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में हैं।

शिक्षकों का आरोप है कि त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील कार्य के दौरान बड़ी संख्या में शिक्षकों की निर्वाचन ड्यूटी लगाए जाने के बावजूद, उनका वेतन रोक दिया गया है, जो न केवल अनुचित है बल्कि निर्वाचन प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार संगठन इस बात से भी नाराज हैं कि उन्हें वार्ता के लिए एक आदेश के माध्यम से बैठक में भाग लेने को कहा गया, जबकि पूर्व परंपरा और शिष्टाचार के तहत मान्यता प्राप्त प्रतिनिधियों को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया जाना अपेक्षित होता है। राजकीय शिक्षक संघ, प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल-पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ एवं उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने तीनों संगठनों के संयुक्त मोचा-शिक्षक समन्वय संघर्ष समिति के माध्यम से मुख्य शिक्षा अधिकारी को भेजे गये पत्र में आरोप लगाया है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी लगातार संगठनों की उपेक्षा कर रहे हैं, उनके पत्रों और फोन का उत्तर नहीं दिया जाता, जिससे संवादहीनता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

संगठनों ने कहा है कि विभागीय मुखिया के माध्यम से मीडिया और सोशल मीडिया में शिक्षकों के विरुद्ध बिना तथ्यों की पुष्टि के समाचार प्रसारित कराना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे विभाग की छवि भी धूमिल होती है। साथ ही, बैठक का समय सायं 4 बजे निर्धारित किया गया है, जबकि कई पदाधिकारी पर्वतीय क्षेत्र में निर्वाचन ड्यूटी पर हैं, जिससे उनके लिए लौटना मुश्किल होगा। शिक्षक संगठनों ने बैठक में विकास खंड स्तर के अध्यक्षों और मंत्रियों को भी आमंत्रित किए जाने की मांग की है ताकि वे वास्तविक परिस्थितियों से अवगत करवा सकें। उनका कहना है कि निर्वाचन ड्यूटी में भारी अनियमितताएं की गई हैं, एकल अभिभावकों और महिला शिक्षिकाओं की समस्याओं की अनदेखी की गई है।

कुछ शिक्षक समायोजन निरस्त होने के बावजूद अब तक कार्यमुक्त नहीं हुए हैं। समग्र शिक्षा के तहत बिना किसी अतिरिक्त लाभ या संसाधन के अतिरिक्त दायित्व निभा रहे शिक्षकों को चेतावनी और वेतन रोकने जैसी कार्यवाहियों से उत्पीड़न महसूस हो रहा है। इसके अतिरिक्त वर्षों से अन्य गतिविधियों में लगे शिक्षकों को मूल विद्यालयों में भेजे जाने की मांग भी उठाई गई है।

शिक्षक संगठनों ने चेताया है कि यदि वेतन रोकने का आदेश तत्काल वापस नहीं लिया गया और उचित समाधानात्मक वार्ता नहीं की गई, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी मुख्य शिक्षा अधिकारी की होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी