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कोलकाता, 26 जुलाई (हि.स.) ।
पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों से पहले सियासी तापमान तेजी से बढ़ रहा है। शनिवार को राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पूर्व मेदिनीपुर के तमलुक में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दावा किया कि प्रदेश की मतदाता सूची में 1.25 करोड़ अवैध प्रवासियों के नाम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बाद सभी बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को राज्य से बाहर कर दिया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, बिहार में अगर 50 लाख नाम हटाए जा सकते हैं, तो बंगाल में यह आंकड़ा 1.25 करोड़ तक पहुंच सकता है। अब कोई भी मुख्यमंत्री को नहीं बचा पाएगा। झूठे मतदान के सभी रास्ते बंद होंगे और भ्रष्टाचार खत्म होगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जिन जिलास्तरीय अधिकारियों ने निष्पक्षता से काम नहीं किया, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि जो हिंदू नागरिक धार्मिक प्रताड़ना के चलते भारत आए हैं, उन्हें इस प्रक्रिया से डरने की आवश्यकता नहीं है।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने शुभेंदु अधिकारी के इस बयान को धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता देबांशु भट्टाचार्य ने पलटवार करते हुए पूछा, क्या वह वास्तव में इतने बड़े पैमाने पर लोगों की पहचान कर सकते हैं? क्या शुभेंदु अधिकारी ने कभी किसी रोहिंग्या को देखा है या उनकी भाषा जानते हैं?
भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी यह साबित करे कि उनके पास 1.25 करोड़ अवैध प्रवासियों की सूची है और वह चुनाव आयोग को सौंपे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया विपक्षी दलों के समर्थकों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश है।
भट्टाचार्य ने आगे कहा, बिहार में भी यही किया गया, जहां राजद समर्थक यादवों के नाम सूची से हटाए गए। अब बंगाल में भी वही चाल दोहराई जा रही है, लेकिन यहां यह सफल नहीं होगी। बंगाल के हिंदू और मुस्लिम बंगाली अपनी भाषा और पहचान के आधार पर एकजुट हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर