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जयपुर, 26 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने हनुमानगढ़ की पीजी कॉलेज से रिटायर महिला व्याख्याता को उसका जनवरी 2016 से जुलाई 2019 तक का बकाया वेतन और समस्त सेवानिवृत्त परिलाभ तीन माह में अदा करने को कहा है। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश कृष्णा जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने कहा कि एक बार जब राज्य सरकार ने कॉलेज का अधिग्रहण कर लिया तो उस संस्था के समस्त दायित्वों की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की ही मानी जाएगी। यदि राज्य सरकार यह मानती है कि कॉलेज का अधिग्रहण साल 2020 में हुआ था तब भी 70 फीसदी देनदारी राज्य सरकार की बनती है और वह शेष तीस फीसदी कॉलेज की प्रबंध समिति से वसूल सकती है।
याचिका में अधिवक्ता सार्थक रस्तोगी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता हनुमानगढ के अनुदानित कॉलेज में राजनीति विज्ञान के व्याख्याता के तौर पर साल 1983 में नियुक्त हुई थी। उस समय वह अनुदानित कॉलेज था और राज्य सरकार से 70 फीसदी अनुदान प्राप्त करता था। वहीं साल 2013 में कॉलेज को राज्य सरकार ने अधिगृहित कर लिया और समस्त दायित्व अपने अधीन कर लिया। याचिकाकर्ता जुलाई, 2019 में रिटायर हो गई, लेकिन दिसंबर, 2015 के बाद से उसे वेतन, पेंशन और अन्य परिलाभ नहीं दिए गए। ऐसे में उसे बकाया भुगतान दिलाया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को बकाया भुगतान अदा करने को कहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक