कोर्ट में सहयोगात्मक रवैया रखें वकील : हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


--हाईकोर्ट ने न्याय कक्ष में कोर्ट कार्यवाही में बाधा डालने वाले वकील की कड़ी निंदा की

प्रयागराज, 26 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों को नसीहत देते हुए उनसे कोर्ट में सहयोगात्मक रवैया अपनाने की अपील की है। कोर्ट ने मुवक्किल की दूसरी ज़मानत याचिका खारिज होने के बाद न्याय कक्ष में हंगामा करने और कार्यवाही में बाधा डालने के लिए एक अधिवक्ता के आचरण की कड़ी निंदा की। कहा, किसी याचिका पर आदेश हो जाने के बाद वकीलों को बहस नहीं करनी चाहिए।

न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने सचिन गुप्ता की दूसरी ज़मानत याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि न्याय कक्ष में सम्मानजनक व अनुकूल माहौल बनाए रखना और अपने मुवक्किलों के हितों का पूरी लगन से प्रतिनिधित्व करना अधिवक्ता का दायित्व है। कोर्ट ने आगे कहा कि वकीलों को न्यायालय की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करने की बजाय उसकी सहायता करनी चाहिए ताकि कार्यवाही व्यवस्थित और सम्मानजनक हो जिससे अंततः न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बनी रहे।

सचिन गुप्ता के खिलाफ गोरखपुर के गोरखनाथ थाने में आईपीसी की धारा 376, 506 और आईटी एक्ट की धारा 66सी, 67ए के तहत मुकदमा दर्ज है। जमानत अर्जी पर सुनवाई में उसके वकील ने कहा कि याची दिसम्बर 2023 से जेल में बंद है और निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। क्योंकि अब तक केवल दो गवाहों के बयान हुए है। यह भी तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। इसलिए उसे ज़मानत दी जानी चाहिए। सरकारी वकील ने ज़मानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि कारावास की अवधि के अलावा तत्काल दूसरी ज़मानत याचिका करने का कोई नया आधार नहीं है, इसलिए ज़मानत याचिका खारिज की जाती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे