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गाजा, 26 जुलाई (हि.स.)। हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी इज्जत अल-रिशक ने अमेरिका द्वारा युद्धविराम वार्ता से हटने के फैसले और वार्ता विफल होने का दोष हमास पर डालने वाले बयानों पर आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा है कि यह निर्णय मध्यस्थों की समझ और अब तक हुई प्रगति से मेल नहीं खाता।
हमास की राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य इज्जत अल-रिशक ने शनिवार को एक बयान में कहा, “हम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के बयानों से हैरान हैं। ये बयान मध्यस्थों के आकलन और जमीनी सच्चाई से मेल नहीं खाते।”
इस सप्ताह अमेरिका ने हमास पर समन्वय की कमी और ईमानदारी से वार्ता में भाग न लेने का आरोप लगाते हुए युद्धविराम वार्ता से अपने प्रतिनिधियों को वापस बुला लिया। अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा है कि वे गाजा में बचे हुए 50 बंधकों को छुड़ाने के लिए विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। इजराइल का मानना है कि इन बंधकों में से केवल 20 ही अभी जीवित हैं।
हालांकि, अल-रिशक ने दावा किया कि मध्यस्थ देशों मिस्र और कतर ने हमास के गंभीर और रचनात्मक दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि संगठन ने सभी प्रस्तावों पर सकारात्मक और लचीला रवैया अपनाया। उन्होंने बताया कि हमास ने युद्धविराम के प्रस्तावित 60-दिवसीय काल में इजराइली फौज की गहराई कम करने, बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता पहुंचाने और बंधकों की अदला-बदली जैसे विषयों पर भी स्पष्टता और गारंटी की मांग की थी।
अल-रिशक ने जोर देकर कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका को आक्रामकता को समाप्त करने और कैदियों की अदला-बदली की दिशा में गंभीर वार्ता के लिए इजराइल पर वास्तविक दबाव डालना चाहिए।”
दरअसल, इजराइल और हमास के बीच युद्ध विराम एवं शान्ति को लेकर हो रही बातचीत में तीन पक्ष (मिस्र, कतर और अमेरिका) मध्यस्थ की भूमिका में थे, और अब अमेरिका के अलग होने से इस प्रक्रिया को बड़ा झटका लगा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय