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--परानीपुर में ग्राम प्रधान पर वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप --डीएम ने ग्राम प्रधान के वित्तीय, प्रशासनिक अधिकारी पर लगा दिया है रोक
प्रयागराज, 26 जुलाई (हि.स.)। मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह ने मेजा एसडीएम को आदेश दिया है कि ग्राम पंचायत परानीपुर में कराए गये कार्यों की विस्तृत जांच के लिए उप श्रमायुक्त (श्रम रोजगार) और कार्यों के मूल्यांकन में तकनीकी सहयोग के लिए सहायक अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को 22 जुलाई को भेजा गया था। लेकिन प्रधान के लोगों ने जांच को रोक दिया और स्थिति भयावह व तनावपूर्ण हो गयी थी। ऐसे में 31 जुलाई को स्वयं उपस्थित होकर शांतिपूर्ण जांच के लिए पुलिस बल के साथ मौके पर जाएं और जांच कराने के लिए प्रशासनिक सहयोग करें।
बता दें कि, ब्लाक उरुवा के परानीपुर निवासी राजू पुत्र कवि निवासी ग्राम पंचायत परानीपुर ने शिकायती पत्र में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत परानीपुर विकास खण्ड-उरूवा द्वारा कराये गये कार्यों की विस्तृत जांच के लिए उपायुक्त (श्रम रोजगार) प्रयागराज को एवं कार्यों के मूल्यांकन में तकनीकी सहयोग हेतु सहायक अभियन्ता, ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग को नामित किया गया था।
जांच अधिकारी उपायुक्त (श्रम रोजगार), सहायक अभियन्ता, ग्रा०अ०वि०, सहायक विकास अधिकारी (पंचायत), ग्राम पंचायत सचिव तथा लेखा सहायक मनरेगा मौके पर 22 जुलाई को गये थे। लेकिन ग्राम प्रधान मौके पर नहीं थी। प्रधान पति स्वयं उपायुक्त (श्रम रोजगार) के कार्यालय उपस्थित होकर ग्राम प्रधान परानीपुर के माध्यम से प्रत्यावेदन दिया। जिसमें उल्लिखित किया गया कि न्यायालय द्वारा जांच को स्थगित कर दिया गया है। जबकि न्यायालय ने जांच के क्रियान्वयन पर कोई रोक नहीं लगायी है, बल्कि डीएम प्रयागराज के आदेश 16 जून 2025 को स्थगित किया है। जिसके द्वारा ग्राम प्रधान परानीपुर के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार पर रोक लगायी गयी थी।
मौके पर जांच के समय ग्राम प्रधान स्वयं उपस्थित नहीं हुयीं। प्रधान के लोगों ने जांच को रोक दिया। इससे स्थिति भयावह और तनावपूर्ण हो गयी। स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए जांच अधिकारी मौके से लौट आये। सीडीओ ने एसडीएम मेजा को निर्धारित तिथि को कुशलतापूर्वक जांच कराने एवं पुलिस बल के साथ मौके पर उपस्थित होकर जॉच में प्रशासनिक सहयोग करने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि, परानीपुर के प्रधान पर 1.30 करोड़ रुपए के गबन की जांच हो रही है। जिसे उन्होंने विभिन्न विकास कार्यों में खर्च करने का आरोप लगाया जा रहा है। इसमें प्रधान ने 55 लाख रूपए के जांच आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे लिया है, जबकि डीएम ने वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार पर रोक लगा दिया था। इसके बावजूद प्रधान ने विकास मद से नौ लाख रुपए निकाल लिए हैं। सीडीओ ने 39 लाख रुपए से हुए विकास कार्यों के जांच का आदेश दिया है। उधर, ग्रामीणों में प्रधान की कार्यशैली को लेकर आक्रोश है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र