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रांची, 26 जुलाई (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) झारखंड प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राज्यपाल संतोष गंगवार से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 में कुलपति नियुक्ति और विश्वविद्यालय संचालन से संबंधित प्रस्तावित प्रावधानों पर कड़ा विरोध जताते हुए महामहिम से विधेयक को स्वीकृति नहीं देने का आग्रह किया।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि विधेयक में प्रस्तावित प्रावधान विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता, अकादमिक स्वतंत्रता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मूल सिद्धांतों के प्रतिकूल हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने आशंका जताई कि यदि विधेयक लागू होता है तो इससे उच्च शिक्षा का राजनीतिकरण बढ़ेगा और संस्थानों में अकुशल प्रशासन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं प्रदेश मंत्री मनोज सोरेन ने कहा कि विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति योग्यता और अनुभव के आधार पर होनी चाहिए, न कि राजनीतिक हस्तक्षेप से।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों की प्रशासनिक प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाए रखने के लिए व्यापक संवाद और छात्रों, शिक्षकों एवं शिक्षाविदों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है। इससे अकादमिक स्वतंत्रता पर संकट उत्पन्न हो सकता है। सोरेन ने कहा कि सरकार विधेयक में दावा कर रही है कि कुलपति और प्रति कुलपति की नियुक्ति में पारदर्शिता रहेगी। लेकिन राज्य सरकार जब सरकार अपनी एजेंसी जेपीएससी और जेएसएससी सुचारू रूप से संचालन नहीं कर पा रही है तो हम किस आधार पर मान लें कि सरकार कुलपति और प्रतिकुलपति की नियुक्ति कर पाएगी।
मौके पर राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी चिंताओं पर विचार किया जाएगा। इसी विषय को लेकर लालपुर स्थित कार्यालय में प्रेस वार्ता भी किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak