विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल का नया प्रयोग, उम्मीदवार चयन में ली जाएगी जनता और कार्यकर्ताओं की राय
विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल का नया प्रयोग, उम्मीदवार चयन में ली जाएगी जनता और कार्यकर्ताओं की राय


कोलकाता, 25 जुलाई (हि.स.)। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र तृणमूल कांग्रेस की एक सहयोगी संस्था ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में जनता की राय लेना शुरू कर दिया है। आम नागरिकों के साथ-साथ तृणमूल के जमीनी स्तर के नेता और कार्यकर्ताओं से भी वोट के ज़रिए पसंदीदा उम्मीदवारों के नाम मांगे जा रहे हैं। इस प्रक्रिया से तृणमूल खेमे में हलचल तेज़ हो गई है।

सूत्रों के मुताबिक, कुछ नेता अपने नाम को आगे बढ़ाने के लिए ‘वोटर’ यानी कार्यकर्ताओं और आम लोगों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। कहीं-कहीं तो यह भी सुनने को मिल रहा है कि कुछ नेता अपने समर्थकों से कह रहे हैं – “अगर कोई पूछे तो मेरा नाम ही लेना।” हालांकि संस्था के लोग किसी नेता की प्रशंसा सुनते ही उसके बारे में और गहराई से जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं, जिससे कई जगह सच्चाई सामने आ रही है।

सूत्रों के अनुसार, वर्तमान विधायकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जा रही है – उन्होंने जनता से कितना संपर्क रखा, विकास के कामों में कितनी रुचि ली, इन सब बिंदुओं पर विस्तृत मूल्यांकन किया जा रहा है। कुछ विधायकों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं पाया गया है, इसलिए उन क्षेत्रों में नए चेहरों की तलाश चल रही है।

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दो से तीन दावेदार सामने आ रहे हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में यह संख्या और अधिक है।

एक तृणमूल नेता ने बताया, “पहले टिकट मिलना किस्मत पर निर्भर करता था, अब यह पूरी तरह से योग्यता पर आधारित हो गया है। संस्था हर पहलू की जाँच कर रही है।” पिछली बार कई ऐसे उम्मीदवार अप्रत्याशित रूप से टिकट पा गए थे जो भले ही चुनाव जीत गए, लेकिन विधायक के रूप में कोई खास दक्षता नहीं दिखा सके। हालांकि, उन्होंने अपने निजी विकास पर भरपूर ध्यान दिया। ऐसे नेताओं को इस बार पीछे कर दिया जाएगा।

कुछ ब्लॉक अध्यक्ष पहले से ही खुद को उम्मीदवार मानकर चल रहे हैं। इसका असर उनके रहन-सहन पर भी दिख रहा है – ब्रांडेड जूते-कपड़े, पार्लर विज़िट और कार्यकर्ताओं से संपर्क में तेजी आ गई है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार की प्रत्याशी सूची में भी चौंकाने वाले नाम होंगे। कुछ लोगों के सपने टूट सकते हैं, जबकि कुछ ऐसे नाम उभर सकते हैं जिन्होंने उम्मीद भी नहीं की थी। पार्टी की सहयोगी संस्था ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी की सिफारिश इस बार काम नहीं आएगी। यानी किसी को प्रभावित करने की रणनीति बेकार होगी। तृणमूल नेता देबू टुडू ने कहा, “कौन उम्मीदवार बनेगा, यह फैसला नेतृत्व करेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय

 

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