तिल की खेती को प्रोत्साहन दे रही योगी सरकार
योगी आदित्यनाथ


9846 रुपये प्रति कुन्तल है तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य

लखनऊ, 25 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तिल की खेती करने वाले किसानों को भी सहारा दे रही है। सरकार बीज पर अनुदान देकर लागत कम और उत्पादन अधिक करने में किसानों की सहायता कर रही है। खरीफ में यूपी में लगभग पांच लाख हेक्टेयर में तिल की खेती की जाती है। कृषि विभाग तिल के बीजों पर 95 रुपये प्रति किग्रा की दर पर अनुदान उपलब्ध करा रहा है। सीएम योगी के निर्देश पर तिल की खेती के लिए कृषि विभाग किसानों को वैज्ञानिक विधि भी सीखा रहा है। तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 9846 रुपये प्रति कुंतल है।

पांच लाख हेक्टेयर में होती है तिल की खेती

खरीफ मौसम में उत्तर प्रदेश में लगभग 5.0 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में तिल की खेती की जाती है। तिल की खेती विशेष रूप से असमतल (जहां जलभराव में समस्या न हो) भूमि में कम वर्षा वाले क्षेत्र में की जा सकती है। तिल की खेती में कृषि निवेश न के बराबर लगता है, परन्तु तिल का बाजार मूल्य अधिक होने के कारण प्रति इकाई क्षेत्रफल में लाभ होने की सम्भावना अधिक है।

तिल के बीज पर 95 रुपये प्रति किग्रा की दर पर उपलब्ध कराया जा रहा अनुदान

तिल की प्रमुख प्रजातियां आर0टी0-346 एवं आर0टी0-351,गुजरात तिल-6, आर0टी0-372, एम0टी0-2013-3 एवं बी0यू0ए0टी0तिल-1 हैं। तिल के बीज बोने से पहले थिरम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किग्रा से बीजोपचारित करने से मृदा एवं बीज जनित रोगों से बचाव किया जा सकता है तथा बीजों में अंकुरण बेहतर होता है या जैविक कीटनााशी ट्राइकोडर्मा 4 ग्रा0 प्रति कि0ग्रा0 की दर से बीज उपचारित किया जा सकता है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने शुक्रवार काे बताया कि कृषि विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा तिल के उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए इसके बीजों पर 95 रुपये प्रति किग्रा की दर पर अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।

फसल संरक्षा के उपाय

खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरंत बाद पेडीमेथालिन का उपयोग किया जा सकता है। तना एवं फल सड़न बीमारी के रोकथाम हेतु थायोफेनेट मिथाइल या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव तथा पत्ती झुलसा रोग के लिए मैनकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का प्रयोग आवश्यक है। तिल में कीटों के बचाव हेतु क्विनालफाक्स या डाइमेथोएट का छिड़काव का प्रयोग आर्थिक क्षति स्तर से अधिक क्षति होने पर ही करना चाहिए। किसान अधिक जानकारी के लिए राजकीय कृषि रक्षा इकाई/जिला कृषि रक्षा अधिकारी/ कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन