कुमाऊं विश्वविद्यालय ने शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता तय करने को गठित की विशेषज्ञ समिति
कुलपति प्रो. दीवान रावत।


नैनीताल, 25 जुलाई (हि.स.)। यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शोध पत्रिकाओं की केयर सूची समाप्त किए जाने के बाद अब शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता तय करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों पर आ गई है।

इस संदर्भ में कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल ने कुलपति प्रो. दीवान रावत के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए विशेषज्ञ समिति गठित की है, जो तय करेगी कि कौन सी शोध पत्रिकाएं प्रत्यक्ष नियुक्तियों व कैस के अंतर्गत पदोन्नति के लिए मान्य मानी जाएंगी।

प्रो. रावत ने कहा कि शोध की गुणवत्ता, विषय-संगति और नैतिक मानकों के बिना उच्च शिक्षा संस्थान की अकादमिक साख संभव नहीं है। इसलिए यह समिति शोध प्रकाशनों के न्यूनतम गुणवत्ता मानक निर्धारित करेगी। साथ ही यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि केवल उन्हीं शोध पत्रों को मान्यता मिले, जो वैज्ञानिक समीक्षा प्रक्रिया से गुजरे हों और जिनमें पारदर्शिता व गंभीरता हो। इस समिति में विश्वविद्यालय के विभिन्न विषयों के वरिष्ठ प्राध्यापकों के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है।

समिति भूगोल, वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान, हिन्दी, प्रबंधन, इतिहास, रसायन, वाणिज्य, भौतिकी व राजनीति शास्त्र जैसे विषयों से संबंधित शोध पत्रिकाओं के मूल्यांकन की दिशा में कार्य करेगी। प्रो. रावत के अनुसार यह कदम विश्वविद्यालय की शोध संस्कृति को मजबूत करने के साथ ही शिक्षकों व शोधार्थियों को गुणवत्ता परक शोध के लिए प्रोत्साहित करेगा और पदोन्नति की प्रक्रिया को निष्पक्ष व वस्तुनिष्ठ बनाएगा। विश्वविद्यालय इस निर्णय से शोध के क्षेत्र में अधिक स्वायत्त, उत्तरदायी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी