Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
धर्मशाला, 25 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय को करीब पांच साल बाद स्थायी कुलसचिव मिल गया है। प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार सांख्ययान की इस पद पर नियुक्ति हुई है। डॉ सांख्यायन ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचपीसीयू), धर्मशाला में कुलसचिव पद का कार्यभार ग्रहण किया।
डॉ. सांख्ययान इससे पहले पालमपुर स्थित चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में मृदा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे।
कुलसचिव का पदभार संभालने के बाद, डॉ. सांख्ययान ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के देहरा और धर्मशाला परिसरों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसके साथ ही, वे कुलपति प्रोफेसर एस.पी. बंसल के नेतृत्व में विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं।
उन्होंने प्रोफेसर (स्तर 14) के रूप में 10 से अधिक वर्षों तक सेवा की है। इससे पहले, वे वरिष्ठ वैज्ञानिक और सहायक वैज्ञानिक के रूप में कुल 9 वर्षों तक कार्यरत रहे। साथ ही उन्होंने अनुसंधान सहयोगी और वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता के रूप में भी 2 वर्ष का अनुभव प्राप्त किया।
इससे पूर्व डॉ सांख्यायन कृषि विश्वविद्यालय में मृदा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष रहे। अकादमिक, प्रशासनिक और वित्तीय कार्यों का सफल पर्यवेक्षण किया और नोडल अधिकारी आईसीएआर, यूजीसी और वीसीआई वैधानिक अनुपालन और राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अधिदेशों के संस्थागत निष्पादन को सुनिश्चित करने में अग्रणी। अनुसंधान परियोजनाओं के प्रधान/सह-प्रधान अन्वेषक, 23 अनुसंधान परियोजनाओं का नेतृत्व और सह-नेतृत्व किया, जिसमें 10 बाहरी वित्त पोषित परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा लगभग 100 शोध पत्र, 90 लोकप्रिय लेख, 5 प्रैक्टिकल मैनुअल, एक मृदा उर्वरता मानचित्र एटलस और 10 पुस्तकें व पुस्तक अध्याय उनके अकादमिक योगदान को दर्शाते हैं। केंद्रीय उपकरण प्रयोगशाला की स्थापना के तहत आधुनिक उपकरण जैसे आईसीपी और कृषि ड्रोन स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2004 से मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के प्रभारी लगभग दो दशकों तक विश्वविद्यालय की मृदा परीक्षण सेवाओं का सफलतापूर्वक पर्यवेक्षण किया।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया