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हिसार, 25 जुलाई (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस (एचएसबी) द्वारा जारी फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) अपने चौथे दिन भी प्रतिभागियों को प्रेरित और शिक्षित करता रहा। इस कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल (एमआईसी) और एआईसीटीई के सहयोग से किया जा रहा है। शुक्रवार को लेजिटक्वेस्ट के सह-संस्थापक डॉ. हिमांशु पुरी द्वारा ‘टॉक बाय ए स्टार्टअप फाउंडर : पिच एंड टीम’ और ‘गो टू मार्केट स्ट्रेटजी’ विषय पर बेहद प्रेरक और व्यावहारिक सत्र प्रस्तुत किया गया।
डॉ. हिमांशु पुरी ने अपनी स्वयं की स्टार्टअप यात्रा सांझा की, जिसमें उन्होंने 2017 में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद उद्यमिता की राह चुनी। यह यात्रा केवल प्रेरणा नहीं थी, बल्कि अनुभवजन्य सीख से भरी हुई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी स्टार्टअप की पिच उस समस्या पर केंद्रित होनी चाहिए जिसे वह हल कर रहा है। उसका समाधान कितना अनोखा है और यह पहले से मौजूद विकल्पों से कैसे अलग है। डॉ. पुरी ने नए उद्यमियों को सलाह दी कि जब तक स्टार्टअप राजस्व उत्पन्न करना शुरू न करे, तब तक उन्हें पिचिंग की जल्दी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने शुरुआत में स्वयं पूंजी लगाने और दोस्तों व परिचितों से प्रारंभिक निवेश जुटाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने ‘एमवीपी’ को ऐसे समय पर निवेशकों को दिखाया जब अभी तक आय नहीं आ रही थी, और उन्हें वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली जैसी अपेक्षित थी। लेकिन जब उन्होंने प्रोडक्ट-मार्केट फिट प्राप्त कर लिया। यानी उनका उत्पाद वास्तव में समस्याएं हल कर रहा था और राजस्व ला रहा था, तभी वे आधे मिलियन डॉलर का निवेश जुटाने में सफल हुए।
दिन का समापन एक और प्रभावशाली सत्र के साथ हुआ, जिसमें गुजविप्रौवि के एचएसबी के निदेशक प्रो. विनोद कुमार बिश्नोई और प्रो. सुनीता रानी ने ‘टीचिंग, मेंटरिंग एंड कंसल्टिंग : क्रिएटिंग स्टूडेंट कंडयुसिव इनवायर्नमेंट’ विषय विषय पर अपने विचार सांझा किए। उन्होंने बताया कि बदलते समय में शिक्षकों की भूमिका केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि उन्हें विद्यार्थियों के लिए एक मार्गदर्शक और सलाहकार की भूमिका भी निभानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विद्यार्थियों के साथ विश्वासपूर्ण संबंध बनाना, सुलभ और संवादशील होना और एक ऐसा वातावरण तैयार करना जरूरी है, जो जिज्ञासा, सहयोग और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करे। उनका सत्र शिक्षकों को यह सोचने पर प्रेरित करता है कि कैसे वे शिक्षण को मार्गदर्शन और कंसल्टिंग के साथ संतुलित करके विद्यार्थियों के लिए अधिक अर्थपूर्ण और व्यवहारिक बना सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर