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विदिशा, 25 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में 11वीं शताब्दी का प्राचीन उदयेश्वर नीलकंठेश्वर मंदिर इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहा है। हजारों वर्षों का इतिहास और दुर्लभ स्थापत्य समेटे इस मंदिर की दीवारों और संरचना में इन दिनों दरारें देखी जा रही हैं, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर के आसपास संचालित पत्थर खदानों में अवैध रूप से की जा रही ब्लास्टिंग इसकी मुख्य वजह है। इन खदानों में हो रहे धमाकों से मंदिर की मजबूत दीवारें भी अब कमजोर होने लगी हैं। एक-दो नहीं, बल्कि कई स्थानों पर मंदिर की दीवारों में दरारें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं।
हालांकि इस गंभीर स्थिति की जानकारी पुरातत्व विभाग को दी जा चुकी है, लेकिन अब तक मंदिर की सुरक्षा या संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक क्षतिग्रस्त हो सकता है।
यह वही मंदिर है, जिसे परमार राजा उदयादित्य ने 11वीं शताब्दी में बनवाया था और जहां महाशिवरात्रि पर सूर्य की पहली किरण सीधे गर्भगृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ती है। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी, मूर्तिकला और नागर शैली की वास्तुकला इसे अद्वितीय बनाती है।
लोक मान्यता है कि यहां शिवलिंग से निरंतर पसीना निकलता रहता है, जिसे चमत्कार माना जाता है। हर साल यहां महाशिवरात्रि पर पांच दिवसीय मेला भी आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन और पुरातत्व विभाग इस धरोहर को बचाने के लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाएंगे या यह विरासत धीरे-धीरे खंडहर में बदल जाएगी?
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश मीना