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श्रीनगर 25 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नागरिक सचिवालय में जम्मू-कश्मीर भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की 22वीं बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक का उद्देश्य विभिन्न कल्याणकारी उपायों के कार्यान्वयन की व्यापक समीक्षा करना और जम्मू-कश्मीर में निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रमुख पहलों को मंजूरी देना था।
बोर्ड द्वारा की गई प्रगति की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने 2.85 लाख से अधिक सक्रिय निर्माण श्रमिकों तक कल्याण कवरेज का विस्तार करने के बोर्ड के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने लाभों के पारदर्शी, समय पर और लक्षित वितरण के महत्व पर ज़ोर दिया और अधिकारियों को आउटरीच तंत्र का विस्तार करने, आवेदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी पात्र श्रमिक बोर्ड के लाभों का लाभ उठाने से वंचित न रहे।
मुख्यमंत्री ने सभी कमजोर और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को इसके दायरे में लाने के लिए ’निर्माण श्रमिक’ की व्यापक और अधिक समावेशी परिभाषा का भी आह्वान किया।
उन्होंने बोर्ड से ऐसे नीतिगत तंत्रों का पता लगाने का आग्रह किया जो राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं और श्रम कल्याण मानकों के अनुरूप, श्रमिकों के लिए कवरेज को अधिकतम करें और उनकी वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाएँ।
योजना विभाग और अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।
सचिव श्रम एवं रोजगार कुमार राजीव रंजन ने बोर्ड की प्रमुख उपलब्धियों, नीतिगत सुधारों और वित्तीय प्रगति पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
उन्होंने सदस्यों को बताया कि बोर्ड रोजगार एवं सेवा शर्तों का विनियमन अधिनियम, 1996 के विधायी अधिदेश के अनुसार कार्य करता रहेगा। इस अधिदेश के तहत बोर्ड आकस्मिक मृत्यु के मामलों में अनुग्रह राशि, स्थायी और अस्थायी विकलांगताओं के लिए वित्तीय सहायता और पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों के लिए शैक्षिक सहायता सहित कई प्रकार के लाभ प्रदान करता रहा है। यह कक्षा 10वीं और 12वीं में 90 प्रतिषत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को 50,000 रुपये की एकमुश्त मेधावी छात्रवृत्ति भी प्रदान करता है, इसके अतिरिक्त विवाह और मातृत्व सहायता, दीर्घकालिक बीमारियों के लिए सहायता और अंतिम संस्कार व्यय कवरेज भी प्रदान करता है।
पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड ने महत्वपूर्ण डिजिटल सुधार लागू किए हैं। इनमें सभी वित्तीय सहायता के लिए 100 प्रतिषत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, फर्जी पंजीकरणों को समाप्त करने के लिए आधार एकीकरण, पंजीकरण और नवीनीकरण के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल, और कर्मचारियों को महत्वपूर्ण समय-सीमाओं और अपडेट के बारे में सूचित रखने के लिए एसएमएस अलर्ट के साथ-साथ ओटीपी-आधारित प्रमाणीकरण शामिल हैं।
बोर्ड उपकर संग्रह और अर्जित ब्याज के माध्यम से आय अर्जित करता है। वर्तमान में विभिन्न बैंकों के सावधि जमा और बचत खातों में 1082.58 रुपये करोड़ की राशि जमा है।
बोर्ड ने बैठक के दौरान एजेंडा के एक व्यापक सेट पर चर्चा की और उसे मंजूरी दी। इनमें वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए योजना-वार बजट प्रस्तावों को मंज़ूरी देना और 30 अक्टूबर, 2020 के एसओ 339 के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को 17.24 करोड़ रुपये का हस्तांतरण शामिल था। वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लेखापरीक्षित खातों को मंज़ूरी दे दी गई और उन्हें प्रमाणन के लिए महालेखाकार को भेज दिया जाएगा।
बैठक में लाभों के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए बोर्ड की पहलों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय समावेशन योजनाओं के साथ एकीकृत करने को भी मंज़ूरी दी गई।
डिजिटल शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी पंजीकृत श्रमिकों को स्मार्ट कार्ड जारी करने को मंज़ूरी दी गई जिसका प्रस्तावित बजट 10 करोड़ रुपये है।
कार्यस्थल सुरक्षा में सुधार के लिए बोर्ड ने निर्माण श्रमिकों विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों मे, को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट और उपकरण उपलब्ध कराने हेतु 60 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। कौशल विकास की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, बोर्ड ने एनएसडीसी मानदंडों के अंतर्गत 10 करोड़ रुपये के बजट के साथ 10,000 श्रमिकों के लिए अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मंजूरी दी।
मेधावी छात्रवृत्ति योजना को मिले जबरदस्त प्रतिसाद को देखते हुए न्यूनतम 90 प्रतिषत कटऑफ बनाए रखते हुए सभी जिलों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले छात्रों के लिए योग्यता के आधार पर स्लैब के साथ रूपरेखा को संशोधित करने का संकल्प लिया गया। बोर्ड ने कर्मचारियों के नियमितीकरण के लंबे समय से लंबित मुद्दे पर भी चर्चा की और संबंधित समिति को छह महीने के भीतर संबंधित विभागों के परामर्श से भर्ती नियमों को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने समापन भाषण में कल्याणकारी लाभों को प्रत्येक योग्य श्रमिक तक पहुँचाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने निर्माण श्रमिकों विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर के दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में रहने वाले श्रमिकों की आवश्यकताओं के अनुरूप दूरदर्शी सुधारों, मजबूत निगरानी और समावेशी नीति निर्माण का आह्वान किया।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह