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सोनीपत, 25 जुलाई (हि.स.)। भारत
की सांस्कृतिक विविधता में त्योहारों का विशेष स्थान है, जो न केवल परंपराओं को जीवित
रखते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से भी जोड़ते हैं। ऐसा ही एक अवसर शुक्रवार
को गायत्री विद्यापीठ गन्नौर में देखने को मिला, जब विद्यालय परिसर हरियाली तीज के
उल्लास और लोकसंस्कृति की रंगत में सराबोर हो गया।
छोटे-छोटे
विद्यार्थियों ने एक-दूसरे को झूला झुलाया, लोकगीत गाए और पारंपरिक पकवानों का आनंद
लिया। बच्चों के साथ-साथ विद्यालय की अध्यापिकाएं भी पूरे जोश के साथ झूला झूलती नजर
आईं। हरियाली तीज से जुड़े गीतों की स्वर लहरियों ने वातावरण को संगीतमय बना दिया।
प्रधानाचार्या
शकुंतला कौशिक ने विद्यार्थियों को हरियाली तीज के धार्मिक और मौसम संबंधी महत्व को
सरल शब्दों में बताया कि यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक
है। साथ ही इस समय सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने से वर्षा का योग बनता है, जिससे
प्रकृति चारों ओर हरियाली से सज जाती है। अध्यापिकाएं मोनिका, सुमन, सीमा, निशा, डिंपल,
रुचिका, कीर्ति, मनीषा, तमन्ना और प्रिया ने बच्चों को झूला झुलाया और उन्हें सुहाली,
मट्ठी तथा घेवर जैसे पारंपरिक व्यंजन भी खिलाए। नव ज्योति
शिक्षा सदन के निदेशक राजेंद्र कौशिक ने सभी बच्चों और शिक्षकों को तीज की शुभकामनाएं
दीं।
हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना