हिमाचल को आपदा से निपटने के लिए 220 करोड़ की मदद, 958 हिमनद झीलों पर भी विशेष निगरानी
Doctor Sikander


शिमला, 25 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने शुक्रवार को बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए गंभीर प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त अवसंरचना के पुनर्निर्माण हेतु 228.50 करोड़ रुपये की विशेष सहायता (ऋण) की मांग की थी। केंद्र सरकार ने राज्य की पात्रता जांचने के बाद 220.10 करोड़ रुपये की राशि को स्वीकृत कर राज्य को जारी कर दिया है।

राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने उठाया मुद्दा

राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने संसद में प्रश्न पूछा था कि क्या हिमाचल सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता मांगी है और क्या जमीनी स्तर पर जलवायु समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र की कोई योजना है। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने विस्तार से सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

क्लाइमेट-प्रूफ जिले और गांव बनाने की पहल

केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने बताया कि हिमाचल में जलवायु परिवर्तन को देखते हुए राज्य ने ऊर्जा, जल, वन, स्वास्थ्य और ग्रामीण आजीविका जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित अनुकूलन और उपशमन कार्यों को एकीकृत कर ‘जलवायु परिवर्तन राज्य कार्य योजना 2021-30’ तैयार की है। इस योजना का उद्देश्य हिमाचल को कार्बन-तटस्थ राज्य बनाना है। राज्य ने पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील पारि-गांवों के विकास पर भी अब तक 3.32 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

हिमनद झीलों के खतरे पर भी नजर

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि हिमाचल सहित चार राज्यों में 150 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (जीएलओएफ) जोखिम उपशमन परियोजना चलाई जा रही है, ताकि अचानक झील फटने से होने वाली बाढ़ की आशंका को कम किया जा सके। विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग ने हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन ज्ञान प्रकोष्ठ की स्थापना भी की है, जो जोखिमों के आकलन और जलवायु अनुकूल उपायों के क्रियान्वयन में सहयोग करेगा।

958 हिमनद झीलों की पहचान

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने हिमाचल में 958 हिमनद झीलों की सूची तैयार की है जो लगभग 9.6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई हैं। ये झीलें जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में बाढ़ का खतरा बढ़ा सकती हैं। इसलिए इनके प्रभावों पर लगातार नजर रखी जा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार विकास परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी देते समय यह सुनिश्चित कर रही है कि राज्य के संवेदनशील पर्यावरण पर न्यूनतम असर पड़े। राज्य के पर्यावरण, विज्ञान, प्रोद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर एक संधारणीय भविष्य की दिशा में काम किया जा रहा है।

मंत्री ने कहा कि हिमाचल में विशेष अनुसंधान और विकास परियोजना पहल के अंतर्गत पर्यावरणीय चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए शैक्षणिक संस्थानों, प्रयोगशालाओं और मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों को वित्तीय मदद दी जा रही है। इसका उद्देश्य नई तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देकर राज्य को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से बचाना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा