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उदयपुर, 24 जुलाई (हि.स.)। झीलों की नगरी में हरियाली अमावस्या पर गुरुवार का दिन पूरी तरह उल्लास, मस्ती और पारंपरिक रंगों में रंगा नजर आया। सहेलियों की बाड़ी से फतहसागर की लहरों तक मेले की रौनक इस कदर छाई कि हर ओर सिर्फ खिलखिलाहट, पकौड़ों की खुशबू और पुंपाड़ियों की गूंज सुनाई दी। एक बार फिर यह साबित हुआ कि उदयपुर न केवल झीलों की नगरी है, बल्कि त्योहारों की आत्मा और लोकसंस्कृति की धरती भी है।
हरियाली अमावस्या मेले की शुरुआत के साथ ही शहर के साथ दूरदराज़ से आए लोगों की भीड़ सहेलियों की बाड़ी, देवाली, यूआईटी सर्कल और फतहसागर के किनारे उमड़ पड़ी। लगभग 650 दुकानों के साथ इस वर्ष का मेला और भी भव्य बन पड़ा है। चकरी-डोलर के झूलों में झूमते बच्चे, युवाओं की सेल्फी वाली टोली और मालपुए की कतारों ने माहौल को पूरी तरह जीवंत कर दिया।
मेले की भीड़ और वाहनों की आवाजाही को सुव्यवस्थित रखने के लिए प्रशासन ने इस बार करीब 15 जगहों से वाहन प्रवेश बंद किया है। चेतक सर्कल, फतहपुरा पुलिस चौकी, सहेली नगर सहित मुख्य मार्गों पर नो एंट्री लागू रही। इसी कारण अधिकांश मेहमानों को करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, लेकिन रास्ते में लगे खाने-पीने और खिलौनों की स्टॉल्स ने इस पैदल यात्रा को भी एक सैर में बदल दिया।
बच्चों के लिए झूले, खिलौने और बबल-गन की दुकानों पर खासा उत्साह देखा गया। वहीं रबड़ी के मालपुए, गरमा-गरम जलेबी और आलू की पकौड़ी सबसे अधिक मांग में रहे। महिलाओं के लिए चूड़ी, मेहंदी और स्थानीय हस्तशिल्प की दुकानों पर भी जमकर खरीदारी हुई। सहेलियों की बाड़ी में रील्स बनाते, फव्वारे के पास सेल्फी लेते युवतियों के समूह हर कोने में आकर्षण का केंद्र रहे।
यूआईटी सर्कल पर लगे बड़े नाव वाले झूलों में बच्चों के साथ बड़े भी मस्ती करते नजर आए। महिलाएं अपने बच्चों के साथ टोली बनाकर आईं और पूरे मेले का आनंद लिया। मेले की सजीवता इतनी रही कि हर चेहरे पर मुस्कान और हर कदम पर उल्लास छलकता रहा।
हरियाली अमावस्या मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए
-हर वर्ष की भांति इस बार भी हरियाली अमावस्या मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए रहेगा। इसे सखियों का मेला कहा जाता है, जिसमें पुरुषों का प्रवेश वर्जित रहेगा। इस दिन विशेष रूप से महिला सखियां पारंपरिक परिधानों में सजकर उत्सव में भाग लेंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता