जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर
जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर


हरदा, 24 जुलाई (हि.स.)। जिले के खिड़किया जनपद अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य मगरधा में माचक नदी पर पुल नहीं बनने के कारण बरसात में करीब एक दर्जन गांवों के लोग मरीज, स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे परेशान हैं। पुल नहीं बनने के कारण जब नदी में पानी अधिक रहता है तब 20 किलोमीटर का चक्कर काट कर जाना-आना पड़ता है। कोई साधन नहीं होने के कारण बच्चों की स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई बरसात में प्रभावित करती है। रतनपुर सहित अन्य गांव के लोगों की समस्या दो-तीन दसक से बनी हुई है। इस अंतराल में जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों से मांग की गई तो सिवाय आश्वासन के कुछ भी नहीं मिल पाया है।

7 करोड़ का रिवाईज स्टीमेट भेजा गया -

विधायक डॉ रामकिशोर दोगने ने सेतु निर्माण निगम को इस संबंध में पत्र लिखा और पहले साढे 4.5 करोड़ का स्टीमेट बनाकर भेजा गया, किंतु नदी की चौड़ाई अधिक होने से राशि कम हो रही थी। जिसको ध्यान में रखते हुए रिवाइज स्टीमेट बनाकर अब 7 करोड़ का स्टीमेट भेजा गया है। सेतु निर्माण निगम से जब मंजूरी मिलेगी तब पुल निर्माण का कार्य शुरू हो पायेगा ।

जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर-

पूर्व शिक्षक एवं शिक्षाप्रकोष्ट के जिलाध्यक्ष राघवेंद्र पारे ने कहा कि स्कूल-कॉलेज के बच्चे 20 किलोमीटर का चक्कर बचाने के लिए जूता-चप्पल हाथ में लेकर जान जोखिम में डालकर माचक नदी पार करते हैं। यह महज इतिफाक है कि कोई अप्रिय घटना अभी तक हुई नहीं है। तेज बारिश में नदी का खौफनाक मंजर देखे ही बनता है। नदी पार करना तो दूर नदी के पानी को देखकर ही बच्चे भयभीत हो जाते हैं। बरसात के दौरान ऐसे मंजर देखने को मिलते हैं। हर साल इस समस्या को उठाया जाता है और मांग भी की जाती है। आश्वासन देकर मामले को वहीं टरका दिया जाता है। लिहाजा आज तक पुल नहीं बन पाया है।

छात्रों ने पुल के लिए दिया धरना -

गत वर्ष माचक नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर कॉलेज और मगरधा हायर सेकेण्डरी में पढ़ने वाले बच्चे धरने पर बैठे। इसको गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया गया कि अगले सत्र तक पुल बन जायेगा। किंतु पुल बनना तो दूर अभी तक काम भी शुरू नहीं हो पाया है। 7 करोड़ का स्टीमेट सेतु निर्माण निगम के दफ्तर में धूल खा रहा है। कोई भी फाइल खोलकर राशि मंजूर करने के लिए आगे भी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है।

मरीजों को होती है भारी परेशानी -

बरसात के दौरान डिलेवरी व मरीजों की हालत ज्यादा खराब होने पर डोली - खटोली से ही मरीजों को चिकित्सालय पहुंचाया जाता है। नदी में पानी अधिक होने के कारण वाहन नदी पार कर तक नहीं पहुंच पाते हैं। जिसके कारण मरीजों को बड़ी मुश्किल से चिकित्सालय तक पहुंचाया जाता है। यह समस्या दो-तीन दशक से है। इतने लंबे अंतराल के बाद भी इस समस्या का कोई हल नहीं खोजा जा सका है। सांसद, विधायक, मंत्री, आयुक्त सहीत जिला कलेक्टर सभी से इस समस्या से अवगत कराकर पुल बनाने की मांग कर चुके हैं। फिर भी इसका कोई मतलब नहीं निकला है। आज भी समस्या बनी हुई है।

आश्वासन पर अमल नहीं -

मगरधा में माचक नदी पर पुल बनवाने के संबंध में दर्जनों बार आश्वासन मिल चुका है, किंतु इस पर आज तक अमल नहीं हो पाया है। इस कारण से समस्या का समाधान दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। समूचे क्षेत्र के लोगों में आक्रोष का माहौल है। जब भी कोई पुल बनाने की बात करता है तो आक्रोशित लोग जमकर खरी-खोटी सुनाते हैं।

-----------------

हिन्दुस्थान समाचार / Pramod Somani