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दो माह के अंदर अनुपालना रिपोर्ट भेजनी होगी, कोर्ट में साबित नहीं हो पाए आरोप
सीजेएम मोहम्मद सगीर ने काहनौर के 4 आरोपियों को किया बरी
शिकायतकर्ता कांस्टेबल ने मारपीट करने, वर्दी फाड़ने व जान से मारने की धमकी का लगाया था आरोप
रोहतक, 24 जुलाई (हि.स.)। सीजेएम मोहम्मद सगीर अदालत ने काहनौर गांव के चार लोगों को झूठे केस में फंसाने पर कड़ा रूख अपनाया है। कोर्ट ने पांच पुलिस कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक विभागीय कार्रवाई के लिए एसपी को पत्र लिखा है। इस कार्रवाई की दो माह के अंदर अनुपालना रिपोर्ट भेजनी होगी।
इस मामले में एक शिकायतकर्ता कांस्टेबल ने चार लोगाें पर मारपीट करने, वर्दी फाड़ने व जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया था। लेकिन कोर्ट में आरोप साबित ही नहीं हो पाए। कोर्ट में यह बात साबित हो गई कि इन चारों लोगों को झूठा फंसाया गया था। ऐसे में सीजेएम मोहम्मद सगीर ने झूठे केस में फंसाए गए 4 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी चुघ ने कोर्ट में पैरवी की।
जिला काहनौर गांव निवासी सुरेंद्र, कर्मबीर, सन्नी व सोनू के खिलाफ कलानौर पुलिस स्टेशन में 31 अक्टूबर 2016 को भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 332,34,341,353,506 के तहत केस दर्ज हुआ था।
काहनौर पुलिस चौकी के कांस्टेबल सुरेंद्र मोहन ने इस बारे में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के मुताबिक वह रात करीब सवा 10 बजे पुलिस चौकी में मौजूद था। तभी कांस्टेबल मनोज ने बताया कि काहनौर गांव निवासी लक्ष्मण के साथ मारपीट हुई है। वह इस मामले में एसपीओ अनिल को साथ लेकर जांच के लिए काहनौर गांव पहुंचा। जब वह वाल्मीकि बस्ती में टी प्वाइंट चौपाल के पास पहुंचा तो रात करीब साढे 10 बजे 4 आदमी बाजार की ओर से पैदल आ रहे थे। वे सभी शराब के नशे में थे।
शिकायत के मुताबिक आरोपियों की पहचान सुरेंद्र, कर्मबीर, सन्नी व सोनू के रूप में हुई। इन चारों आदमियों ने सुरेंद्र मोहन का रास्ता रोक लिया और कहा कि रवि को पकड़ने जा रहे तो पहले हमसे निपटो। रवि का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इसके बाद सुरेंद्र मोहन का गला पकड़ा पकड़ लिया और हाथापाई शुरू कर दी। फिर उसे थप्पड़ मारे और वर्दी फाड़ दी। घटना का पता चलने पर उसके साथी पुलिस कर्मी मौके पर आए। साथ ही आसपास के लोगाें ने उसे छुड़वाया। इसके बाद वे जान से मारने की धमकी देकर वहां से फरार हो गए। इस मामले में काहनौर पुलिस चौकी के एएसआई हरिराम को जांच अधिकारी बनाया गया था।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिल