परांपरागत खेती के साथ तकनीक का करें उपयोग, पाएं बेहतर परिणामः मंत्री कुशवाह
द्यानिकी फसलों को बढावा देने के लिए दो दिवसीय कार्यशाला


- उद्यानिकी मंत्री ने उद्यानिकी फसलों को बढावा देने के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का किया शुभारंभ

ग्वालियर, 24 जुलाई (हि.स.)। सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण एवं उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण श्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा किसान परंपरागत खेती पर ही निर्भर न रहें, बल्कि उद्यानिकी फसलों की ओर भी बढ़ें। इसमें थोड़ी सी तकनीक और फसल का उचित रखरखाव किसानों को घाटे के सौदे से निकालकर लाभ के धंधे में ला रहा है। इसके लिए किसी खास प्रशिक्षण की जरूरत भी नहीं होती। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि गांव में अधिक से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट एवं छोटे छोटे उद्योग लगाएं, जिससे किसान खुद की फसल का अच्छा दाम प्राप्त कर सके।

मंत्री कुशवाह गुरुवार को उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजनांतर्गत ग्वालियर जिले में उद्यानिकी फसलों को बढावा देने के लिए दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति अरविंद कुमार शुक्ला, सहायक संचालक उद्यान विभाग ग्वालियर एमपीएस बुंदेला, प्रगतिशील कृषक उज्जैन डॉ. योगेन्द्र कौशिक, सीनियर साइंटिस्ट भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र बनारस डॉ. एएन त्रिपाठी, प्रधान वैज्ञानिकी कृषि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर डॉ. शैलेन्द्र कुशवाह, प्रगतिशील कृषक पीलीबंगा जयपुर भंवर सिंह शेखावत सहित बडी संख्या में ग्वालियर जिले के किसान उपस्थित रहे।

बाल भवन के सभागार में आयोजित कार्यशाला में उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि किसानों के लिए सरकार नई योजना ला रही है जिसमें जो भी किसान एक बगिया मॉ के नाम पर लगाने का कार्य करेगा, तो सरकार उसको तीन लाख तक अनुदान प्रदान करेगी। उन्होने कहा कि किसानों की मेहनत के कारण लगातार खादा्न उत्पादन में मध्य प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। साथ ही कहा कि पहले प्रदेश के किसान फसलों की सिंचाई के लिए काफी परेशान रहते थे, जबसे नदी जोडो अभियान चला है और नये डेम बने है, तब से सिंचाई का रकवा काफी बडा है, जिस कारण फसल उत्पादन भी बडा है।

कुशवाह ने कहा कि हमें जैविक खेती को बढावा देना होगा, किसानों को अपनी फसलों में कम से कम कीटनाशक दबाओं का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इससे कई प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारा जिला कृषि एवं उद्यानिकी फसलों में आंगे बडे हमें ऐसे प्रयास करने चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया उद्यानिकी विभाग में नये किसानों का अधिक से अधिक पंजीयन करायें जिससे प्रगतिशील किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज उपलब्ध हो इसके लिए सरकार प्रयासरत है। किसानों को आईएसआई मार्क की ही मशीनरी एवं अन्य सामान उपलब्ध कराने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।

कार्यशाला में कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा कि आधुनिक तकनीक के उपयोग से किसान अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत कर सकते हैं। परंपरागत खेती के साथ-साथ उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अगर किसान कार्य करे तो उनकी आय दोगुना हो सकती है। कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे नए-नए अनुसंधानों के बारे में भी किसानों को जानकारी लेकर उसका सदुपयोग करना चाहिए।

कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा भी किसानों को उद्यानिकी फसलों के संबंध में तकनीकी जानकारी दी गई। इसके साथ ही प्रगतिशील कृषक डॉ. योगेन्द्र कौशिक ने भी अपने अनुभव से अवगत कराया।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर