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अनूपपुर, 24 जुलाई (हि.स.)। हरियाली अमावस्या जिसे 'श्रावण अमावस्या' भी कहते हैं, भारतीय परंपराओं में महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक क्रियाओं का प्रतीक है। सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। 24 जुलाई को जिले भर में हरियाली अमावस्या मनाई। नर्मदा उद्गम नगरी अमरकंटक में श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाई। जिसने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के इस दिन को खास बनाया। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 24 जुलाई यानी आज रात 2 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 25 जुलाई यानी कल रात 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
हरियाली अमावस्या, जिसे ‘श्रावण अमावस्या’ भी कहा जाता है, भारतीय परंपराओं में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक क्रियाओं का प्रतीक भी है। दूर-दूर से लोग अमरकंटक में पहुंच कर नर्मदा में स्नान कर मॉ नर्मदा का पूजन करते है। लगातार तेज बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई। आज का दिन अमरकंटक में धार्मिक उत्सव और आस्था से भरा रहा।
नर्मदा मंदिर दर्शन करने शिवभक्तों की उमड़ी भीड़
अमावस्या के कारण पवित्रनगरी अमरकंटक में हजारों शिवभक्त व कावडि़ए माता नर्मदा के दर्शन करने उमड़ पड़े। मंदिर परिसर के बाहर श्रद्धालुओं की कतार लगी रहीं। श्रद्धालुओं ने नर्मदा सरोवर में स्नान कर माता नर्मदा के दर्शन किए और कावड़ में जलभर कर जालेश्वर के लिए प्रस्थान किया।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला