(अपडेट) सहकारिता का भी फ्यूचर है नहीं बल्कि सहकारिता का ही फ्यूचर है : अमित शाह
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को अटल अक्षय ऊर्जा भवन में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए


नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का अनावरण करते हुए कहा कि विगत चार वर्षों के अंदर अब कोऑपरेटिव सेक्टर को कॉर्पोरेट सेक्टर के समान अधिकार प्राप्त हो चुके हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सहकारिता का भी फ्यूचर है नहीं, बल्कि सहकारिता का ही फ्यूचर है।

शाह ने कहा कि एक जमाने में अर्थतंत्र के जानकारों ने सहकारिता को डायिंग सेक्टर घोषित कर दिया था। आज वही लोग कहते हैं कि सहकारिता का भी फ्यूचर है, लेकिन मैं सभी को कहना चाहता हूं कि सहकारिता का भी फ्यूचर है नहीं, बल्कि सहकारिता का ही फ्यूचर है। विगत 4 वर्षों में सहकारिता मंत्रालय की अनेक उपलब्धियां रहीं, मगर इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि आज देश की छोटी से छोटी सहकारी इकाई का सदस्य गर्व के साथ खड़ा हो गया है।

शाह ने बताया कि यह देश की दूसरी राष्ट्रीय सहकारिता नीति है। पहली नीति 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में लाई गई थी और अब 2025 में फिर भाजपा सरकार के नेतृत्व में इसे लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस नीति का लक्ष्य देश की जीडीपी में सहकारी क्षेत्र के योगदान को तीन गुना करना है। साथ ही 50 करोड़ नागरिकों को सक्रिय रूप से सहकारी समितियों से जोड़ने, हर पंचायत में कम से कम एक सहकारी समिति स्थापित करने और सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत वृद्धि का भी लक्ष्य रखा गया है।

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता का परिणाम है कि देश में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना हुई। यह मंत्रालय देश के हर वर्ग, विशेषकर गांव, महिलाएं, किसान, दलित और आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का माध्यम बना है। उन्होंने कहा कि कोई भी विकास मॉडल तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति उसमें सहभागी न हो।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए 6 प्रमुख स्तंभ निर्धारित किए गए हैं। पहला-सहकारी आंदोलन की नींव को मजबूत करना। दूसरा- आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना। तीसरा-सहकारी समितियों को पेशेवर व आर्थिक रूप से सशक्त बनाना। चौथा- सहकार आधारित समावेशी विकास को बढ़ावा देना। पांचवां- नए और उभरते क्षेत्रों में सहकारिता का विस्तार करना और छठा- युवाओं को प्रेरित करना व अनुभव आधारित ज्ञान देना।

शाह ने कहा कि नीति में 83 इंटरवेंशन पॉइंट चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से 58 पर काम शुरू हो चुका है और 3 को पूर्ण कर लिया गया है। हर तहसील में 5 मॉडल सहकारी गांव विकसित किए जाएंगे और श्वेत क्रांति 2.0 के तहत महिलाओं को सहकारी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सहकारिता के माध्यम से आर्थिक पारदर्शिता, संस्थागत विश्वास, वित्तीय स्थायित्व और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है। साथ ही, इस क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार हर 10 वर्षों में कानूनों की समीक्षा और बदलाव भी किया जाएगा।

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह नीति दूरदर्शी, व्यवहारिक और परिणामोन्मुखी है। जब देश 2047 में स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, तब यह नीति भारत को आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने में एक मजबूत आधार साबित होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार