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शिमला, 24 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरूवार को राज्यसभा में बताया कि हिमाचल प्रदेश में मंडी से पंडोह तक लगभग 21 किलोमीटर लंबे फोरलेन राजमार्ग परियोजना का काम तेज़ी से चल रहा है। इसमें से 18 किलोमीटर हिस्से का काम 15 अगस्त 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जबकि शेष 3 किलोमीटर के हिस्से को परियोजना से बाहर (डी-स्कोप) कर दिया गया है, क्योंकि उस हिस्से में पहाड़ की अत्यधिक कटाई से भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता था।
गडकरी ने यह जानकारी राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश भाजपा महामंत्री डॉ. सिकंदर कुमार के प्रश्नों के उत्तर में दी। डॉ. सिकंदर कुमार ने सदन में हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों पर कटाई के कारण भूस्खलन से यात्रियों की सुरक्षा, फोरलेन परियोजनाओं और सुरंगों के निर्माण की मंजूरी को लेकर कई सवाल पूछे थे।
गडकरी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में विभिन्न सुरंगों को स्वीकृति दी गई है या उन पर निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानसून के दौरान भूस्खलन के खतरे को कम करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इन उपायों में भू-संरक्षण, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल और संवेदनशील क्षेत्रों में सतत निगरानी जैसे प्रावधान शामिल हैं।
वहीं, जनजातीय मामलों को लेकर राज्यसभा में डॉ. सिकंदर कुमार ने केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश में जनजातीय समुदायों के लिए चल रही योजनाओं की जानकारी भी मांगी। इस पर जनजातीय कार्य मंत्री दुर्गादास उइके ने बताया कि प्रधानमंत्री जनजातीय विकास निगम योजना के तहत राज्य में अब तक चार वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) स्वीकृत किए गए हैं, जिनसे 1110 लाभार्थी जुड़े हुए हैं। इन केंद्रों की स्थापना के लिए प्रत्येक को 15 लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी गई है, जिससे लघु वनोपज, कृषि और गैर-कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन किया जा सके।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले पांच वर्षों में नेशनल शेड्यूलड ट्राइब्स फाइनेंस डिवेलपमेंट कोर्पोरेशन (एनएसटीएफडीसी) की विभिन्न योजनाओं के तहत हिमाचल प्रदेश में 159 जनजातीय लाभार्थियों को 1.17 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई है। इसके अलावा ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार को पिछले दो वर्षों में 13.69 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की गई है।
उन्होंने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा गतिशक्ति पोर्टल के माध्यम से महिलाओं और बच्चों समेत जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक संकेतकों में अंतर की पहचान कर, इन्हें दूर करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया जा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा