केंद्रीय विश्वविद्यालय में स्थापित होगा आपदा प्रबंधन केंद्र, मंत्रालय से मिली मंजूरी
कुलपति प्रो. एसपी बंसल।


धर्मशाला, 24 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में आपदा तैयारियों को बढ़ावा देने और इससे निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय को आपदा प्रबंधन केंद्र स्थापित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मंजूरी मिल गई है। यह महत्वपूर्ण कदम इस क्षेत्र में आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता के प्रतियुत्तर में एक आधार है। विशेष रूप से 2023 की कुल्लू मनाली आपदा, 2024 की रामपुर आपदा और इस वर्ष बीते 30 जून को जिला मंडी के सिराज क्षेत्र में जिस प्रकार का मंजर दिखाई दिया ऐसी घटनाओं से जनता को जागरूक और सचेत करने तथा जानकारी से लाभान्वित करना केंद्रीय विश्वविद्यालय का लक्ष्य होगा।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि नव अनुमोदित केंद्र के हाल ही में प्रारम्भ किए गए भूविज्ञान विभाग और रिमोट सेंसिंग और जीआईएस केंद्र के साथ कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि इन विभागों को प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को बढ़ाने के लिए विकसित किया जा रहा है।

कुलपति ने कहा किपिछले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश में आपदा संबंधी चुनौतियों के बढ़ते दबाव के साथ, आपदा प्रबंधन में संस्थागत विशेषज्ञता बनाने की स्पष्ट आवश्यकता थी। आपदा प्रबंधन केंद्र क्षमता निर्माण, अनुसंधान और फील्ड प्रशिक्षण के लिए केन्द्रीय विश्वविद्यालय एक केंद्र के रूप में काम करेगा।

विश्वविद्यालय शीघ्र ही आपदा प्रबंधन में एक डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहा है, जो आपदा जोखिम में कमी, आपातकालीन प्रतिक्रिया और अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों के उपयोग में मानव संसाधनों के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगा।

कुलपति प्रो. बंसल ने कहा कि विश्वविद्यालय में पृथ्वी विज्ञान और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में 38 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ लब्धप्रतिष्ठ भूविज्ञानी प्रोफेसर एके महाजन के नेतृत्व में डॉ. आलोक कुमार पांडे, डॉ. पीतांबरा उपाध्याय, डॉ. बटुक जोशी और डॉ. अरुण कुमार जैसे योग्य संकायों की एक टीम द्वारा प्रशिक्षण और शैक्षणिक कार्यक्रमों का नेतृत्व करने के लिए सहयोग दिया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया