भारत-ब्रिटेन ट्रेड डीलः 3 साल की कोशिश के बाद हुआ समझौता, 2030 तक दोगुना हो जाएगा परस्पर व्यापार
3 साल की कोशिश के बाद हुआ ब्रिटेन के साथ हुआ मुक्त व्यापार समझौता


नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। ब्रिटेन के साथ आज हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बाद दोनों देशों के बीच होने वाले परस्पर व्यापार में तो बढ़ोतरी होगी ही, ब्रिटेन से इंपोर्ट की जाने वाली कई चीजों की कीमत भी घट जाएगी। इस ट्रेड डील के तहत दोनों देश एक दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ में कमी लाएंगे। अगले 10 साल की अवधि में तमाम उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते की ज्यादातर बातें इस साल 06 मई को ही तय हो गई थीं, लेकिन डील से जुड़े मुद्दों की वैधानिकता (कानूनी पहलुओं) की जांच करने और ऑटोमोबाइल सेक्टर को टैरिफ से छूट देने से जुड़े कुछ मुद्दों को तय करने में दो महीने से अधिक का समय लग गया।

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर 2022 में बातचीत की शुरुआत हुई थी। उस समय के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत के साथ एफटीए को दोनों देशों के बीच परस्पर संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया था। बातचीत की शुरुआत होने पर बोरिस जॉनसन ने अक्टूबर 2022 तक ही समझौता हो जाने की बात कही थी। हालांकि टैरिफ को लेकर दोनों देशों के बीच हितों के टकराव का मसला भी उठता रहा, जिसके कारण अक्टूबर 2022 की डेडलाइन पीछे छूट गई।

दोनों देशों के बीच 13 दौर की बातचीत होने के बाद भी कई मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन सकी थी। इसके बाद 2024 में ब्रिटेन में कीर स्टारमर की अगुवाई में लेबर पार्टी सत्ता में आ गई। वहीं भारत में नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए। इसके बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू हुई और 06 मई 2025 को इसके अधिकांश मुद्दों को पर सहमति बन गई। अंत में सभी मुद्दों से जुड़े कानूनी पहलुओं की जांच के बाद आखिर आज इस समझौते पर हस्ताक्षर हो गया। इस तरह 03 साल से चल रही मुक्त व्यापार समझौते की कोशिश ने आज मूर्त रूप ले लिया।

दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते के संबंध में खुराना सिक्योरिटी एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रवि चंदर खुराना का कहना है कि इससे भारतीय एक्सपोर्टर्स को काफी फायदा मिलने वाला है। इस समझौते के प्रावधानों के अनुसार करीब 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर लगने वाली ड्यूटी चरणबद्ध रूप से खत्म कर दी जाएगी। इस समझौते के कारण टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, समुद्री उत्पाद, खिलौने, फुटवियर, स्पोर्ट्स प्रोडक्ट्स और लेदर प्रोडक्ट्स जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पादों के निर्यात को काफी बढ़ावा मिलेगा।

समझौते के तहत भारत में भी ब्रिटेन से आयात किए जाने वाले सामानों पर टैरिफ में कमी की जाएगी। ब्रिटेन के सामानों पर औसत टैरिफ 15 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत तक किया जाएगा। मार्केट एक्सपर्ट अंशुमान चौधरी का कहना है कि ब्रिटिश उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ में कमी करने से कॉस्मेटिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, सॉफ्ट ड्रिंक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में उपयोग होने वाली चीजों को भारत में कम कीमत पर बेचना संभव हो सकेगा।

इसके साथ ही ब्रिटेन से आयत की जाने वाली व्हिस्की के टैरिफ में भी बड़ी कटौती की जाएगी। ब्रिटेन की व्हिस्की पर भारत में फिलहाल 150 प्रतिशत शुल्क लगता है, जिसे कम करके 75 प्रतिशत किया जाएगा और आने वाले 10 सालों में इसे चरणबद्ध रूप से कम करते हुए 40 प्रतिशत पर लाया जाएगा। भारत ब्रिटेन से मुख्य रूप से व्हिस्की, चॉकलेट, सैलमन फिश, मेडिकल इक्विपमेंट्स, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स और कारों का आयात करता है। आज हुए समझौते के तहत इन सभी चीजों पर लगने वाले टैरिफ में कमी हो जाएगी, जिससे भारतीय बाजार में ये सारी चीजें पहले की तुलना में कम कीमत पर मिल सकेंगी।

टीएनवी फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ तारकेश्वर नाथ वैष्णव का कहना है कि इस समझौते के बाद ब्रिटिश व्हिस्की पीने के शौकीनों को तो फायदा होगा ही, ब्रिटेन की कारों के शौकीनों को भी काफी फायदा होगा। अभी ब्रिटेन की कारों पर भारत में 100 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगता है, जो इस समझौते के बाद घट कर 10 प्रतिशत के स्तर पर आ जाएगा। हालांकि कम शुल्क पर बिकने वाली कारों की संख्या पहले से निर्धारित होगी। निर्धारित संख्या से अधिक होने पर कम टैरिफ की बाध्यता खत्म हो जाएगी। निर्धारित संख्या में कारों का आयात होने पर ब्रिटेन से मंगाई जाने वाली जगुआर और लैंडरोवर जैसी लक्जरी कारों की कीमत भी भारत में पहले की तुलना में काफी कम हो जाएंगी।

दावा किया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच के इस ट्रेड डील के कारण आने वाले 5 वर्षों में यानी 2030 तक परस्पर व्यापार लगभग दो गुना हो जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस अवधि में भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाला व्यापार 120 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच सकता है। बताया जा रहा है कि इस समझौते के कारण द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 15 से 23 प्रतिशत तक का उछाल सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक