नशामुक्ति पर राष्ट्रीय स्तर पर लागू होगा हिमाचल मॉडल : राज्यपाल शुक्ल
राज्यपाल प्रेस वार्ता के दौरान


शिमला, 24 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि हिमाचल में उनके नेतृत्व में शुरू हुआ नशामुक्ति अभियान अब राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हाल ही में केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति ने हिमाचल के राजभवन का दौरा किया था और हिमाचल के ‘नशामुक्त हिमाचल’ मॉडल का अध्ययन कर इसे पूरे देश में लागू करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद 20 जुलाई को उत्तर प्रदेश के काशी में ‘‘नशामुक्त युवा फार विकसित भारत’’ शिविर का आयोजन हुआ, जिसके समापन कार्यक्रम में स्वयं राज्यपाल शामिल हुए।

राज्यपाल शुक्ल ने गुरूवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश में नशे की बढ़ती समस्या पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने चेताया कि यदि सरकार ने अभी भी गंभीरता नहीं दिखाई तो आने वाले 5 वर्षों में हिमाचल ‘उड़ता हिमाचल’ बन सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल नशा निवारण केंद्र के लिए जगह तलाशने की बात कह रही है, जबकि प्रदेश में एक भी नया रिहैब सेंटर खोला नहीं जा सका है। वर्तमान में प्रदेश भर में केवल कुल्लू में रेड क्रॉस द्वारा चलाया जा रहा एकमात्र पुनर्वास केंद्र है, जबकि हर जिले में ऐसी सुविधा होनी चाहिए थी।

राज्यपाल ने बताया कि एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में पिछले एक दशक में 340 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2012 में जहां 500 केस थे, वहीं 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 2200 तक पहुंच गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग है। उन्होंने कहा कि उनके अभियान के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नशामुक्त भारत का संकल्प है। इस अभियान में विद्यार्थियों, महिला मंडलों, युवक मंडलों और पंचायतों को जोड़ा गया है। साथ ही, मेले-त्योहारों की थीम को भी नशामुक्ति पर केंद्रित किया गया है, ताकि समाज में सशक्त संदेश जाए।

उन्होंने बताया कि उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विद्यार्थियों से नशा न करने का शपथ पत्र भरवाने की भी पहल की है। कई पंचायतों ने निर्णय लिया है कि नशा करने वालों को पंचायत की सुविधाओं से वंचित किया जाएगा। खेल प्रतियोगिताओं, एनसीसी, एनएसएस और अन्य संस्थाओं के माध्यम से भी यह अभियान गांव-गांव तक पहुंचाया गया है।

आपदा राहत के मसले पर राज्यपाल शुक्ल ने दो टूक कहा कि केंद्र सरकार के समक्ष प्रदेश की मांग उठाना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है, जयराम ठाकुर की नहीं। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री गृह मंत्री से मिलने दिल्ली गए थे, तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को साथ लेकर जाना चाहिए था और खुद अपनी बात रखनी चाहिए थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रभावितों के पुनर्वास के लिए जमीन देना केंद्र का काम नहीं है, यह जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। केंद्र सरकार तो नुकसान का आकलन कर राहत राशि देती है, जिसके लिए केंद्रीय टीम प्रदेश में सर्वे भी कर रही है।

राज्यपाल ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से हिमाचल को आपदा राहत के लिए अतिरिक्त मदद की मांग की है। राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि नशामुक्ति और आपदा प्रबंधन जैसे मामलों में प्रदेश सरकार को और गंभीरता दिखानी होगी, ताकि हिमाचल का भविष्य सुरक्षित रह सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा