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—कैंपों में बंद खातों में री-केवाईसी,बैंक सभी ग्राम पंचायतों में लगा रहे शिविर
वाराणसी,24 जुलाई (हि.स.)। वित्तीय समावेशन संतृप्तिकरण अभियान के तहत वाराणसी जिले के सभी 694 ग्राम पंचायतों पर शिविर के जरिए प्रधानमंत्री जन-धन खाते, सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा, अटल पेंशन योजना में नामांकन एवं बंद खातों में री-केवाईसी करने का अभियान चल रहा है। यह अभियान 30 सितम्बर तक चलेगा। इसकी शुरूआत एक जुलाई से हुई है।
जिले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सभी ग्राम पंचायतों में कैंप लगाने के लिए बैंकवार सारणी सभी बैंकों को भेजी है। यूनियन बैंक के ज़िला प्रबन्धक अविनाश अग्रवाल ने बताया कि इस अभियान के अन्तर्गत प्रधानमंत्री जन-धन खाते, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, अटल पेंशन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बंद खातों में री-केवाईसी आदि के बारें में विस्तृत जानकारी दी जा रही है । इसके अलावा वित्तीय जोखिम से बचाव तथा साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी जा रही है।
—20 रूपये में दो लाख का मृत्यु दुर्घटना बीमा
प्रधान मंत्री जनधन योजना का खाता जीरो बैलेन्स पर खोला जाता है एवं बैलेन्स रखने की अनिवार्यता नहीं होती है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (उम्र सीमा 18-70 वर्ष) में रु 20/- में दो लाख का मृत्यु दुर्घटना बीमा एवं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा (उम्र सीमा 18-50 वर्ष) में रुपए 436/- में दो लाख का जीवन बीमा कवर मिलता है, यह प्रीमियम सालाना है जो खाते से ऑटो डेबिट किया जाता है। बीमा क्लेम की स्थिति में परिवार के सदस्य अथवा नामिनी बैंक से संपर्क कर बीमा राशि का क्लेम कर सकते हैं। अटल पेंशन योजना में 18 से 40 वर्ष के आयु वर्ग के लोग रु 1000 से रुपए 5000 तक की पेंशन का लाभ ले सकते हैं।
— संतृप्तिकरण अभियान का मुख्य उद्देश्य आम जनमानस को योजनाओं से जोड़ना
अविनाश अग्रवाल ने बताया कि संतृप्तिकरण अभियान का मुख्य उद्देश्य आम जनमानस को इन सभी योजनाओं से जोड़ना तथा उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। खातों में नामांकन करना एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे खाताधारक की मृत्यु होने पर उनके वारिसों को बिना किसी प्रक्रिया की जटिलता के खाते की राशि प्राप्त हो सके। हर एक खाताधारक अपने खाते में री-केवाईसी अवश्य करा लें, यह एक आसान एवं अनिवार्य प्रक्रिया है जिसे शाखा अथवा मोबाइल-एसएमएस बैंकिंग से किया जा सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी