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नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। चुनाव आयोग ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के उस रवैए पर हैरानी जतायी है जिसमें उन्होंने बिहार में मतदाता पुनरीक्षण अभियान को लेकर नियमों के तहत शिकायत कर समाधान पाने की बजाय संवैधानिक निकाय को धमकी दी है। आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के पास जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत पर्याप्त उपाय उपलब्ध हैं तो उनका इस्तेमाल भी किया जाना चाहिए।राहुल गांधी ने आज विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध करते हुए कर्नाटक का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा था कि उनके पास वहां की एक सीट से जुड़े मामले में चुनाव आयोग की धोखाधड़ी की अनुमति देने के 100 प्रतिशत पक्के सबूत हैं। यह कोई संयोग नहीं है। सोची-समझी रणनीति के तहत निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूचियों में हेरफेर किया जा रहा है।आयोग ने कहा कि जहां तक कर्नाटक चुनावों का सवाल है, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 80 के अनुसार चुनाव याचिका दाखिल यदि दायर की गई है, तो उच्च न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा करने के बजाय, उन्होंने न केवल निराधार आरोप लगाए हैं, बल्कि ईसीआई को धमकी देने का विकल्प भी चुना है, जो एक संवैधानिक निकाय है।इसी बीच राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने कहा है कि मतदाता सूची सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है। विशेष सारांश संशोधन-2024 को भी लोकसभा चुनाव से पहले साझा किया गया था। सभी 224 सीटों की ड्राफ्ट और अंतिम मतदाता सूची की प्रतियां कांग्रेस सहित सभी पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को प्रदान की गईं थीं। ड्राफ्ट और अंतिम प्रकाशन के बीच 9,17,928 दावे और आपत्तियां विचार के लिए प्राप्त हुईं। कानून के अनुसार, मतदाता सूची में गलत जोड़े या हटाए जाने के खिलाफ अपील दायर की जा सकती है। कोई अपील प्राप्त नहीं हुई।-----------
हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा