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कोलकाता, 23 जुलाई (हि.स.)। मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर से तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ नाराजगी जताते हुए सियासी हलचल बढ़ा दी है। संगठनात्मक अनदेखी और गुटबाजी के आरोप लगाकर हुमायूं ने पार्टी को 15 अगस्त तक का ‘डेडलाइन’ दिया है। उनका साफ कहना है—यदि उस समय तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वह वैकल्पिक रास्ते की सोचेंगे।
बुधवार को एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में हुमायूं कबीर ने स्पष्ट शब्दों में कहा, 15 अगस्त तक देखूंगा, अगर सुधार नहीं हुआ तो विकल्प के बारे में सोचूंगा। कांग्रेस या भाजपा में लौटने का कोई सवाल ही नहीं, जरूरत पड़ी तो नई पार्टी बना सकता हूं। उस दल में कई हुमायूं कबीर होंगे।
यह बयान सीधे तौर पर तृणमूल नेतृत्व के लिए एक खुली चुनौती माना जा रहा है। खासकर मुर्शिदाबाद जिले में लगातार उभरती गुटबाजी की शिकायतों के बीच हुमायूं की यह चेतावनी पार्टी के लिए सिरदर्द बनती दिख रही है।
हुमायूं कबीर ने यह भी दावा किया कि मुर्शिदाबाद के अलावा मालदा, उत्तर दिनाजपुर और नदिया जिलों में भी उनके कई शुभचिंतक हैं। यह संकेत है कि अगर वह नया राजनीतिक दल बनाते हैं तो उन्हें अकेले चलना नहीं पड़ेगा।
तृणमूल कांग्रेस के अंदरुनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने पहले ही हुमायूं को अनुशासन बनाए रखने की कड़ी चेतावनी दी थी। लेकिन इसके बावजूद विधायक का यह नया बयान, पार्टी नेतृत्व को असहज स्थिति में डाल रहा है।
अब सवाल उठ रहा है कि क्या 15 अगस्त के बाद वाकई कोई नया राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिलेगा? हुमायूं का विकल्प क्या होगा? क्या यह केवल दबाव की रणनीति है या वाकई वह नई पार्टी बनाने जा रहो हैं?
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय