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जयपुर, 23 जुलाई (हि.स.)। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित ध्रुवपद गायन प्रशिक्षण कार्यशाला का बुधवार को समापन हुआ। कार्यशाला में ध्रुवपद-गायिका विदुषी प्रोफेसर डॉ.मधु भट्ट तैलंग 80 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया, उनके निर्देशन में ही सीखे हुए सबक की सामूहिक प्रस्तुति विद्यार्थियों ने रंगायन के मंच पर दी। कार्यक्रम में पारंपरिक गायन के साथ कुछ नवाचार भी प्रस्तुत किए गए।
शुद्ध कोमल स्वर साधना के 10 थाटों, भाषा के सही उच्चारण हेतु वैदिक ॐकार साधना, संस्कृत गणपति, गुरू एवं सरस्वती स्तुति के मंत्रों से समारोह प्रारम्भ हुआ। ध्रुवपद की 18वीं शताब्दी में भाव भट्ट द्वारा दी गयी ध्रुवपद की संस्कृत परिभाषा का भी तालबद्ध गायन हुआ। राग मालकौंस में ध्रुवपद की विस्तृत नोम तोम आलापचारी का विलंबित से द्रुत लय तक गायन हुआ। ध्रुवपद की प्रचलित सभी तालों एवं अप्रचलित रूद्र तालों को हाथ से विविध रोचक खेलों द्वारा प्रस्तुत भी किया गया। समारोह में प्रमुख विषय वर्षा ऋतु और भारतीय संस्कृति में इस समय की जाने वाली शिव आराधना से संबंधित राग ताल साहित्य का समावेश किया गया। इन्हें डॉ. मधु भट्ट तैलंग एवं उनके गुरू पद्मश्री पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग द्वारा शब्द- संगीतबद्ध किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश