हरमनप्रीत कौर ने शब्द नहीं, शतक से दिया जवाब, की दमदार वापसी
भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर


नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)।

भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे और निर्णायक वनडे में शानदार शतक जड़ते हुए न केवल अपनी फॉर्म में वापसी की, बल्कि भारत को श्रृंखला जीत दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई। इस मैच में उन्होंने 100 रन की साहसिक पारी खेली और 'प्लेयर ऑफ द मैच' और 'प्लेयर ऑफ द सीरीज़' दोनों खिताब अपने नाम किए।

दिखी हरमनप्रीत की दृढ़ता

जब हरमनप्रीत 22 रन पर थीं, तब लॉरेन फिलर की एक गेंद पर इंग्लैंड ने एलबीडब्ल्यू की अपील पर रिव्यू नहीं लेने का फैसला किया, जो बाद में उनकी बड़ी भूल साबित हुई। उस समय भारत मुश्किल स्थिति में था, लेकिन कप्तान ने मोर्चा संभालते हुए टीम को संकट से निकाला।

लंबे अंतराल के बाद शतक

यह हरमनप्रीत का एक साल बाद आया वनडे शतक था। पिछली बार उन्होंने जून 2024 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बेंगलुरु में शतक जमाया था। इसके बाद से उन्होंने 13 पारियों में 29 की औसत से सिर्फ 319 रन बनाए थे। इस दौरान भारत की अन्य बल्लेबाजों जैसे स्मृति मंधाना, प्रतिका रावल, हरलीन देओल और जेमिमा रोड्रिग्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिससे हरमनप्रीत की फॉर्म पर सवाल उठने लगे थे।

दबाव में दिखाया कप्तानी अंदाज़

तीसरे वनडे में जब हरमनप्रीत बल्लेबाजी के लिए उतरीं, तब भारत के दोनों ओपनर आउट हो चुके थे। इंग्लैंड की स्पिन जोड़ी सोफी एक्लेस्टोन और चार्ली डीन दबाव बना चुकी थी। 11 गेंदों तक बिना रन बनाए खेलने के बावजूद हरमनप्रीत ने संयम नहीं खोया और धीरे-धीरे लय में आती गईं। उन्होंने हरलीन देओल के साथ 81 रन की साझेदारी की, जिसने एक्लेस्टोन जैसे गेंदबाज की ओवरों को जल्दी खत्म करने पर इंग्लैंड को मजबूर कर दिया।

जेमिमा के साथ साझेदारी में आया आक्रामक तेवर

एक समय 48 गेंदों पर 39 रन बनाकर खेल रहीं हरमनप्रीत ने जेमिमा रोड्रिग्स के आने के बाद रफ्तार पकड़ी। रोड्रिग्स ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए चार ओवरों में ही मैच का रुख बदल दिया। इसके बाद हरमनप्रीत ने भी अपने स्वाभाविक अंदाज में आक्रामकता दिखाई और अंतिम ओवरों में तेजी से रन बनाते हुए सिर्फ 28 गेंदों में पारी के दूसरे 50 रन पूरे किए।

4000 रन क्लब में शामिल

इस मैच में उन्होंने वनडे करियर का तीसरा शतक इंग्लैंड की धरती पर लगाया, जो उनके करियर का सबसे तेज़ शतक भी रहा। इसके साथ ही वह वनडे क्रिकेट में 4000 रन का आंकड़ा पार करने वाली भारत की तीसरी महिला खिलाड़ी बन गईं।

मैच के बाद हरमनप्रीत ने कहा, यह मैच हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था। मैंने खुद से कहा था कि मैदान पर टिकना है और टीम के लिए खेलना है। शुरुआत में रन नहीं मिल रहे थे लेकिन धैर्य रखा और सही समय आने का इंतजार किया। यह पारी मैं अपने पिता को समर्पित करती हूं जो इस तरह की पारी का काफी समय से इंतजार कर रहे थे।

वर्ल्ड कप से पहले अहम संदेश

हरमनप्रीत की यह पारी न सिर्फ भारत की जीत की नींव बनी, बल्कि उन्होंने वर्ल्ड कप से पहले टीम को यह विश्वास भी दिलाया कि मध्यक्रम में उनकी भूमिका अब भी उतनी ही निर्णायक है। यह पारी उनके नेतृत्व की परिपक्वता और संकट में खड़े रहने की क्षमता की जीती-जागती मिसाल थी।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे