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मुरैना, 23 जुलाई (हि.स.)। ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि अपने गांव में विकास की गंगा बहाने पर असफल देखे जा रहे हैं। अब तो गांव से छन-छनकर आ रही खबरों के अनुसार अनेक गांवों में मूल-भूत सुविधाओं के साथ-साथ अंतिम संस्कार का स्थल भी नहीं है। अगर है भी तो अव्यवस्थाओं से घिरा हुआ है। समस्या ऊंचाई पर जब पहुंचती है जब किसी समृद्ध गांव में छोटी-छोटी समस्यायेंं दिखाई देती है तब आमजन इसकी शिकायतें राजधानी तक करता है। ऐसी ही परिस्थिति विगत दिवस जिले के बड़े गांव में शुमार खडिय़ाहार में दिखाई दी। यहां वर्षों से श्मशान में अंतिम संस्कार के लिये टीनशेड उपलब्ध नहीं है। इससे भी बदतर स्थिति गांव के श्मशानघाट पर आने-जाने वाले मार्ग की बनी हुई है।
विगत दिवस गांव के गुरू महाराज कोट मंदिर के पुजारी उदयसिंह तोमर की धर्मपत्नी बिटोलीबाई का 75 वर्ष की उम्र में देहावसान हो गया। बड़े श्रद्धा के साथ ग्रामीणजन अंतिम संस्कार के लिये शव को लेकर आये, लेकिन बारिश के कारण चिता जलाने का स्थान श्मशान घाट में नहीं मिल रहा था। ग्रामीणों द्वारा टूटे-फुटे टीनशेड़ को छोडक़र जमीन पर अंतिम संस्कार की तैयारी की। चिता लगाने के दौरान ही बारिश होने लगी, जिससे अंतिम संस्कार पर प्रश्नचिन्ह लग गया। तब ग्रामीणों द्वारा बड़ी त्रिपाल लाकर चिता के ऊपर लगाई गई।
मृतिका श्रीमती बिटोली बाई के पुत्र देवीसिंह तोमर ने मुखाग्नि दी।
लगभग दो दर्जन से अधिक लोग त्रिपाल को कुछ समय तक पकड़े रहे जब तक चिता में पूरी तरह अग्नि प्रवाहित नहीं हो गई। श्मशान मार्ग की दुर्दशा व अंतिम संस्कार के दौरान अव्यवस्थाओं को देखकर ऐसा लगा कि अंचल के बड़े गांव में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव अभी भी बना हुआ है। इस दौरान ग्रामीणों ने पुराने सरपंच रामबरन सिंह तोमर से भी चर्चा की।
उन्होंने अवगत कराया कि उनके कार्यकाल में गड्डों भरे कच्चे मार्ग को मिट्टी डालकर दुरस्त कराया गया था, लेकिन तीन वर्ष से उस मार्ग पर कोई भी कार्य नहीं हुआ। जन प्रतिनिधियों द्वारा ग्रामीण विकास के लिये आई राशि को खाने के सवाल पर पूर्व सरपंच ने टका सा जबाव दिया कि खडिय़ाहार में पैसे खाने वालों पर कार्यवाही कौन कर सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा