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सोनीपत, 23 जुलाई (हि.स.)। ऋषि
चैतन्य आश्रम में पूज्य आनंदमूर्ति गुरुमां के सान्निध्य में पद्मश्री प्रह्लाद सिंह
टिपानिया का बुधवार को पावन आगमन हुआ। प्रसिद्ध लोकगायक टिपानिया ने संत कबीरदास जी के भजनों
की भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं के हृदय को गहरे छू लिया।
गुरुमाँ
से आशीर्वाद लेकर उन्होंने कबीर वाणी को अपनी सुरमयी वाणी में पिरोया। उन्होंने कहा
कि गुरु ही अध्यात्म की सच्ची राह दिखाता है, गुरु के बिना ज्ञान और आत्मानुभूति संभव
नहीं। अपने उद्बोधन में उन्होंने गुरु की महिमा को कबीर भजनों के माध्यम से प्रकट किया।
आज के समय में जब भौतिकता के कोलाहल में आध्यात्मिकता की ध्वनि मंद पड़ती जा रही है,
ऐसे में संत कबीर जैसे महापुरुषों की वाणी और गुरुओं का मार्गदर्शन ही हमें आत्मिक
शांति की ओर ले जाता है। इसी भावना को साकार करता हुआ एक विलक्षण आयोजन ऋषि चैतन्य
आश्रम में सम्पन्न हुआ।
उनकी
प्रस्तुति में बिन गुरु ज्ञान ना उपजे, जल भर कुम्भ रहे जल भीतर, हम परदेसी पंछी रे
जैसे कई प्रसिद्ध भजन शामिल रहे। उनकी गायकी में गांव की सादगी, सुर की मिठास और भावों
की गहराई थी जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूज्या
गुरुमां ने टिपानिया जी की सराहना करते हुए कहा कि आपकी वाणी में अमृत है और कबीर वाणी
की गूढ़ता को सहज रूप से प्रकट करने की क्षमता भी। उन्होंने कहा कि कबीर जी की वर्षा
बाहरी नहीं, आत्मा की अमृतधारा है, जो ध्यान और साधना से अनुभव होती है। आश्रम में
उपस्थित भक्त इस अवसर पर भक्ति, भाव और वाणी के रस में डूबे रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना