‘प्राचीन ग्रंथों में योग और वर्तमान समय में योगाभ्यास का स्वरूप’ पर पूरी की पीएचडी
दीपा आर्य


नैनीताल, 23 जुलाई (हि.स.)। डीएसबी परिसर के योग विभाग की प्राध्यापक दीपा आर्य ने ‘प्राचीन ग्रंथों में योग और वर्तमान समय में योगाभ्यास का स्वरूप’ विषय पर पीएचडी की मौखिक परीक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण कर ली है। उन्होंने यह शोध निर्वाण विश्वविद्यालय जयपुर से डॉ.कृष्ण अग्रवाल के निर्देशन में पूर्ण किया है, जबकि शोध परीक्षा विशेषज्ञ प्रो. रेणु शुंगलू द्वारा आयोजित की गई।

अपने शोध में दीपा आर्य ने योग के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभों को विस्तार से दर्शाया है। उन्होंने बताया कि योग के नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन, शक्ति, मांसपेशियों की टोनिंग, रक्त संचार व प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार होता है, जिससे व्यक्ति का समग्र स्वास्थ्य बेहतर बनता है।

मानसिक स्तर पर योग स्मरण शक्ति, आत्म-जागरूकता व तनाव-चिंता को नियंत्रित करने में सहायक है, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने इस उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के योगाभ्यासों का विवरण भी प्रस्तुत किया। उनकी इस उपलब्धि पर विभागाध्यक्ष प्रो. रजनीश पांडे, परिसर निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा, डीएसडब्ल्यू प्रो. संजय पंत, कूटा अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी व महासचिव डॉ.विजय कुमार ने उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी