जीएमसी अस्पताल का मामला: लड़की के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस नहीं की और कांउटर एफआईआर दर्ज नहीं की तो किया जायेगा बड़ा आंदोलन: अमित कपूर
पतरकाराें से बातचीरीत करते हुए अमित कपूर आर अनय्


जम्मू, 22 जुलाई (हि.स.)। जम्मू के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अमित कपूर ने पिछले दिनों जीएमसी अस्पताल में हुई घटना और उसके बाद जूनियर डाक्टरों द्वारा दो दिन हड़ताल पर चले जाने के मुद्दे को लेकर अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली और जूनियर डाक्टरों पर करारा प्रहार किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पीड़ित लड़की के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को वापस नहीं लिया गया और लड़की की ओर से डाक्टर के खिलाफ कांउटर एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन किया जायेगा।

जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अमित कपूर ने यह बात कही। इस मामले को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, स्वास्थ्य मंत्री सकीना इट्टू और एलजी मनोज सिन्हा को भी कठघरे में खड़ा करने से कोई परहेज नहीं किया। उन्होंने कहा कि जीएमसी में जिस जूनियर डाक्टर से महिला एटेंडेंट द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की बात की जा रही है क्या वो वास्तव में डाक्टर है? उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि वो प्रथम वर्ष की एमबीबीएस की छात्रा है। अगर यह सही है तो एक एमबीबीएस की छात्रा इंमरजैंसी में ऐसे क्रिटिकल केस को क्योंकर हैंडल कर रही थी।

उन्होंने आगे कहा कि इस मामले की भी जांच होनी चाहिए कि जो जूनियर डाक्टर हड़ताल कर रहे थे उनमें से कितने वास्तव में डाक्टर थे और कितने एमबीबीएस के छात्र थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विरोध प्रदर्शन करके जीएमसी प्रशासन अपनी गलती को छिपा तो नहीं रहा है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या जीएमसी प्रशासन एमबीबीएस छात्रों से इमरजेंसी में काम करवा रही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हो रहा है तो यह लाखों जम्मू वालों की जान से खेला जा रहा है।

अमित कपूर ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय को इसका संज्ञान लेना चाहिए और इस सारे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए जिसकी अध्यक्षता एक जज करें ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। उन्होंने आगे कहा कि यह लात किसी व्यक्ति विषेश पर नहीं बल्कि सरकार और सरकारी अस्पतालों के प्रबंधन पर थी जो आंख, नाक और कान बंद करके सोया हुआ है और गरीब ईलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में दरबदर हो रहा है।

उन्होंने मृतक की बेटी अदिति के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस बेटी ने अपने पिता को खोया उस पर तो एफआईआर दर्ज कर दी गई लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में क्या डॉक्टर की भूमिका की भी जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जैसा कि परिवार के सदस्य बता रहे हैं कि डॉक्टरों ने मरीज का सही से उपचार नहीं किया और उसकी मौत के बाद ऐसे शब्द इस्तेमाल किए जो कोई भी औलाद अपने माता-पिता के लिए बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। उस समय तनावपूर्ण स्थिति के चलते मारपीट हो गई लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस बच्ची पर एफआईआर दर्ज कर दी जाए। अगर उस बच्ची पर कानूनी कार्रवाई हुई है तो इलाज में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सरकार को चाहिए कि एक जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया जाए और यह तय किया जाए कि क्या इलाज में लापरवाही बरती गई थी या नहीं। यह जांच बिल्कुल निष्पक्ष होनी चाहिए और असलियत हर सूरत में लोगों के सामने आनी चाहिए। अगर डॉक्टर ने इलाज में लापरवाही बरती है और मृतक के प्रति असंवेदनशील शब्दों का प्रयोग किया है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

अमित कपूर ने कहा कि रविवार को पीड़ित के घर में सभी धार्मिक कर्मकांड पूरे हो जायेंगे और उस दिन तक अगर पीड़िता के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर वापस नहीं ली गई और डाक्टर के खिलाफ कांउटर एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो उसके बाद इसके खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जायेगा। उन्होंने जम्मू के विधायकों द्वारा इस मामले में चुप्पी साधने के लिए उनको भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सीनियर डाक्टर अपनी नीजि प्रैक्टिस में व्यस्त रहते हैं जबकि जूनियर डाक्टरों को इमरजैंसी में तैनात कर देते हैं।

संवाददाता सम्मेलन के दौरान यासीर मट्टू, इंजीनियर हरप्रीत सिंह, गुरमीत सिंह बागी, अमरीक सिंह सासन, सुरेश भगत, अमरीक सिंह, गुलजार हुसैन, तलविंदर सिंह, अपिल और पीड़िता के सभी परिजन भी मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / अमरीक सिंह