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कोलकाता, 22 जुलाई (हि.स.)। भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के कथित उत्पीड़न को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार अगले महीने विधानसभा का एक विशेष सत्र बुला सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, यह सत्र आठ अगस्त से 21 अगस्त के बीच किसी भी दिन आयोजित किया जा सकता है, जिसमें इस मुद्दे पर एक विशेष प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
राज्य के संसदीय कार्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि इस विशेष सत्र में प्रस्ताव के अलावा चार अन्य नए विधेयक भी सदन में पेश किए जा सकते हैं। हालांकि, अभी सारी चीजें विचार-विमर्श के स्तर पर हैं। प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही इसे विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के पास भेजा जाएगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के कथित उत्पीड़न के मुद्दे पर पार्टी की आधिकारिक स्थिति विधानसभा की कार्यवाही में दर्ज हो। इसी रणनीति के तहत सत्र बुलाने की योजना बनाई जा रही है।
मामले पर राज्य कैबिनेट के एक वरिष्ठ मंत्री ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर पुष्टि की कि तृणमूल कांग्रेस ने हर सप्ताहांत इस मुद्दे पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। साथ ही, इस विषय को सदन में भी गंभीरता से उठाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता के धर्मतल्ला में आयोजित तृणमूल कांग्रेस की वार्षिक 'शहीद दिवस' रैली में घोषणा की थी कि 27 जुलाई से राज्यभर में सप्ताहांत प्रदर्शनों की शुरुआत होगी। उन्होंने इस अभियान को 'भाषा आंदोलन' की तरह करार दिया।
ज्ञात हो कि 'भाषा आंदोलन' ऐतिहासिक रूप से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में बंगला भाषा को आधिकारिक दर्जा दिलाने के लिए शुरू हुआ था, जिसने आगे चलकर बांग्लादेश के निर्माण की नींव रखी थी।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को दिल्ली रवाना होने से पहले ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह खुद को बंगाली भाषा और संस्कृति की रक्षक के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं क्योंकि उन्हें राज्य में तृणमूल सरकार के खिलाफ बढ़ते जनविरोध का एहसास हो चुका है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर