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श्रीनगर, 22 जुलाई (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि अथवाजन और हैदरपुरा में स्कूल खोलना आसान था लेकिन सरकारी स्कूलों की तुलना निजी स्कूलों से करने वालों को चुनौतियों के बावजूद शिक्षकों के समर्पण को देखने के लिए दूर-दराज के इलाकों का दौरा करना चाहिए।
वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 समग्र शिक्षा के लिए शिक्षा जगत के नेताओं का सशक्तिकरण - चुनौतियाँ और आगे का रास्ता विषय पर एक दिवसीय शैक्षिक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। शिखर सम्मेलन का आयोजन यहाँ शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में किया गया था।
उमर अब्दुल्ला ने शिक्षा विभाग के शिक्षकों और अन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग जो हमारे और आपके काम पर टिप्पणी करते हैं वह अक्सर सरकारी स्कूलों की तुलना निजी स्कूलों से करते हैं। वह यह नहीं देखते कि सरकारी स्कूल ऐसी जगहों पर स्थापित किए गए हैं जहाँ निजी स्कूल कहीं नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि अठवाजन चौक या हैदरपुरा में स्कूल स्थापित करना बहुत आसान है। इन लोगों को गुरेज, करनाह, माछिल, तंगधार और करनाह जाकर अपने स्कूल खोलने दीजिए। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सरकारी स्कूलों की तुलना मंे बड़े निजी स्कूलों से की जा रही है। उन्होंने सरकारी स्कूलों पर उंगली उठाने वालों से पहाड़ों पर जाकर सरकारी स्कूलों की हालत देखने को कहा।
उन्होंने कहा कि आप वहाँ हमारे शिक्षकों का समर्पण देखेंगे। ऐसा नहीं है कि हमारे सभी सरकारी शिक्षकों को श्रीनगर या जम्मू से जुड़ना पड़ता है। हमारे शिक्षक दूरदराज के पहाड़ों में, कठिन परिस्थितियों में पढ़ा रहे हैं। कोई भी इस बारे में बात नहीं करता। उन्होंने कहा कि कोई भी मौसमी स्कूलों के बारे में बात नहीं करता जहाँ शिक्षक साल के महीनों के लिए अपने बच्चों के साथ पहाड़ों में रहते हैं।
उन्होंने कहा कि वह अपने बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें रोज़गार के योग्य बनाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि जिन चीज़ों पर हम पहले विश्वास करते थे, वह बदल गई हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने जीवन में यह बदलाव देख रहा हूँ। दिसंबर में हम मानते थे कि गुलमर्ग में बर्फ़ पड़ेगी। आज अगर जनवरी में भी बर्फ़ पड़ती है तो यह एक वरदान है।
उन्होंने कहा कि श्रीनगर का तापमान 37 डिग्री तक पहुँच जाता है जबकि हमारे बचपन में हमारे घरों में पंखे नहीं होते थे।
उन्होंने कहा कि आज लोग पहलगाम और गुलमर्ग में एयर कंडीशनर लगा रहे हैं। महीनों तक बारिश नहीं होती और जब होती भी है तो इतनी तेज़ी से कि पानी ऊपर से बहता है और हमें उससे कोई फ़ायदा नहीं होता।
छात्रों की प्रदर्शनी का ज़िक्र करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि स्कूल के बच्चों को वर्षा जल संचयन के बारे में बात करते देखकर उनका दिल खुशी से भर जाता है।
उन्होंने कहा कि जब मैं बच्चों को प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करते देखता हूँ तो मुझे लगता है कि विकल्प कैसे इस्तेमाल किए जा सकते हैं, फसल काटते समय हम प्लास्टिक का इस्तेमाल कैसे कम कर सकते हैं, ज़मीन की भराई ज़्यादा नहीं होनी चाहिए, इससे मुझे बहुत खुशी होती है।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह