Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय निर्वाचन आयोग (सीईसी) ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मतदाता पहचान पत्र मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण में मान्य दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा कि आधार कार्ड और राशन कार्ड को भी वैध दस्तावेज नहीं माना जा सकता है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 28 जुलाई को सुनवाई करने वाला है।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 21(3) के तहत किया जा रहा है और मतदाता पहचान पत्र वर्तमान मतदाता सूची के मुताबिक बनाया गया है। आधार कार्ड को लेकर निर्वाचन आयोग ने कहा है कि ये नागरिकता का सबूत नहीं है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि आधार कानून की धारा 9 में स्पष्ट कहा गया है कि ये नागरिकता का दस्तावेज नहीं है।
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार किया था। जस्टिस सुधांशु धुलिया की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने कहा था कि गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया जारी रहेगी। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से वेरिफिकेशन किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची में आधार, वोटर कार्ड और राशन कार्ड शामिल करने का सुझाव दिया था।
इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल, तृणमूल कांग्रेस के अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। याचिका में निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में एसआईआर के लिए जारी आदेश को रद्द करने की मांग की गयी है। एडीआर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल कर कहा है कि निर्वाचन आयोग का ये आदेश मनमाना है। आयोग का ये आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 32 और 326 के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है। निर्वाचन आयोग का ये आदेश मतदाता पंजीकरण नियम के नियम 21ए का भी उल्लंघन करता है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
--------------------
हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी