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नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स)। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) में लगातार गिरावट आई है। मार्च 2021 से मार्च 2025 तक पीएसबी का एनपीए 9.11 फीसदी से घटकर 2.58 फीसदी हो गया है। इसके साथ ही खुदरा महंगाई दर भी जून में घटकर 2.1 फीसदी पर आ गई है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। पंकज चौधरी ने कहा, सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) दोनों ने बढ़ते एनपीए की समस्या से निपटने और वसूली की दरों में सुधार के लिए कई उपाय पेश किए हैं।
उन्होंने कहा कि इसके कारण पिछले पांच वित्त वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल एनपीए मार्च 2021 के 9.11 फीसदी से घटकर मार्च 2025 तक 2.58 फीसदी हो गया।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में कहा कि सरकार और आरबीआई ने महंगाई को नियंत्रित करने और आम नागरिकों पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए प्रमुख मौद्रिक और राजकोषीय उपाय किए हैं। मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में 2.50 आधार अंकों (4 फीसदी से 6.5 फीसदी) की वृद्धि की और उसके बाद जनवरी 2025 तक इसे 6.5 फीसदी पर बनाए रखा। इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 फीसदी से गिरकर वित्त वर्ष 2024-25 में 4.6 फीसदी हो गई, जो छह वर्षों में सबसे कम है।
उन्होंने कहा कि हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार जून 2025 में खुदरा महंगाई दर और घटकर 2.1 फीसदी हो गई। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में व्यापक गिरावट के परिणामस्वरूप और विकास को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने फरवरी 2025 से नीतिगत दर रेपो रेट में एक फीसदी की कटौती की है, जिससे सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति आरबीआई की सहनशीलता सीमा के भीतर रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर