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पश्चिम सिंहभूम, 22 जुलाई (हि.स.)। कोल्हान विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और प्रशासनिक गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) का गठन किया गया है। लेकिन इस गठन में किसी भी छात्र या छात्र प्रतिनिधि को शामिल न किए जाने पर पूर्व छात्र नेताओं ने गहरा रोष प्रकट किया है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की अनदेखी कर एकतरफा फैसला लिया है, जो सरासर गलत है।
मंगलवार को पूर्व छात्र प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया है कि आईक्यूएसी जैसी महत्वपूर्ण समिति में छात्रों की भूमिका अहम होती है, क्योंकि यह प्रकोष्ठ विश्वविद्यालय की गुणवत्ता में सुधार, छात्रों की प्रतिक्रिया और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है। इसके बावजूद छात्रहित को नजरअंदाज करना विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।
छात्र नेता पिपुन बारिक ने कहा कि कोल्हान विश्वविद्यालय में गठित यह प्रकोष्ठ छात्रों की शैक्षणिक स्थिति को छिपाने का प्रयास प्रतीत होता है। आईक्यूएसी का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों से प्रतिक्रिया लेकर गुणवत्ता सुधारना होता है, लेकिन जब छात्र ही प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे तो गुणवत्ता की निगरानी कैसे होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द से जल्द इसमें संशोधन कर छात्र प्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया गया तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
वहीं, छात्र प्रतिनिधि और झामुमो युवा मोर्चा के जिला सचिव मंजित हांसदा ने कहा कि आईक्यूएसी एक अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई है। इसमें छात्रों की भागीदारी अनिवार्य होती है। लेकिन विश्वविद्यालय की नवगठित समिति में छात्रों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। यह छात्र विरोधी निर्णय है और हम इसका विरोध करते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन तुरंत इसमें संशोधन कर पुनर्गठन करे, अन्यथा हम आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
छात्र प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति से मांग किया कि किसी अनुभवी पूर्व छात्र प्रतिनिधि या वर्तमान छात्र को आईक्यूएसी में जल्द से जल्द शामिल किया जाए। इससे छात्रों की समस्याएं और सुझाव भी इस प्रकोष्ठ के माध्यम से विश्वविद्यालय तक पहुंच सकें।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक